शहादत पर मातम मनाने का हुक्म होता तो नबियों से बढ़क हुसैन (रजि.) की शहादत नहीं हो सकती.....बनी इस्राईल में कई नबियों को शहीद किया गया.....आखिरी पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल.) के चाचा हजरत हमजा (रजि.) की शहादत बड़ी दर्दनाक और यातना भरी हुई......शहादत मनाई जाती तो मुहम्मद (सल्ल.) अपने चाचा की शहादत मनाते और हुक्म भी देते लेकिन ऐसा नहीं किया.......! उसमान (रजि.) जो मुहम्मद (सल्ल.) के दामाद थे उनकी भी दर्दनाक शहादत कुरआन पढ़ते में हुई.....अली (रजि.) जो हुसैन (रजि.) के पिता और मुहम्मद (सल्ल.) के दामाद थे, की भी दर्दनाक शहादत हुई और इनके बेटे हुसैन (रजि.) ने शहादत नहीं मनाई.....फिर हुसैन (रजि.) की शहादत पर मातम क्यों मनाई जाये......??
Posted on: Tue, 12 Nov 2013 17:21:15 +0000
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