1) किसी भी प्रजातांत्रिक - TopicsExpress



          

1) किसी भी प्रजातांत्रिक देश में बहुमत का आदर और सम्मान होता है. जबकि हमारे देश भारत में हिन्दू बहुसंख्यक होने के बावजूद कोई भी राजनैतिक दल हिन्दुओं की परवाह नहीं करता। जबकि अल्पसंख्यक जो मात्र 15% हैं, उन्हें रिझाने हमारे देश में सभी राजनैतिक दलों में होड़ मची हुई है। आखिर इस विडम्बना का कारण क्या है? हमारे देश में हिन्दुओं में ब्राह्मणों को श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त है तथा ब्राह्मणों में कान्यकुब्जों को श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त है। प्राचीन काल में जब 9 कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार एक साथ किसी तीर्थाटन के लिए जाते थे, तब वे भोजन पकाने हेतु 9 परिवारों हेतु 10 चूल्हे जलाते थे और एक चूल्हे से सभी अग्नि लेकर अपने-अपने चूल्हे जलाते थै। वे एक-दूसरे के चूल्हे से अग्नि लेकर अपने चूल्हे कभी नहिं जलाते थे। क्योंकि श्रेष्ठों में भी वर्चस्व भावना घर कर गई थी। जिस समाज के श्रेष्ठ लोगों की ऐसी मनोदशा हो, प्रजातंत्र में बहुमत के बावजूद उसकी दुर्गति के लिए वे स्वयं जिम्मेवार हैं, और अन्य कोई नहीं। हिन्दू समाज की इस मनोदशा में परिवर्तन लाने हमने आज तक क्या कोई कदम आगे बढ़ाया है? (2) किसी भी व्यक्तिवाचक संज्ञा का भाषान्तर नहीं किया जा सकता। जैसे कि “चन्द्रप्रकाश” नाम के व्यक्ति को Moonlight या “सूर्यप्रकाश” नाम के दिसी व्यक्ति को Sunlight कह कर सम्बोधित नहीं किया जाता है। पर हमारे देश का नाम “भारत” एक व्यक्तिवाचक संज्ञा होने के बावजूद भी उसे India कहा जाता है। इसमें किसी को कोई आपत्ति भी आज तक महसूस नही हुई। देश के इस सुन्दरकाण्ड पर आखिर कौन नजर डालेगा? (3) हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और मध्य एशिया के सभी मुस्लिम राष्ट्र के छोटे से बड़े सभी राजनयिक सभी अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हमारे देश का नाम बिना किसी हिचकिचाहट के “हिन्दुस्थान” कहते हैं, जिस पर हमारे देश के सभी लोग खामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं। पर हमारे देश का कोई व्यक्ति या दल यदि हमारे देश का नाम “हिन्दुस्थान” कहते ही, हमारे देश में विशेषकर तथाकथित सेकुलर लाबी की भृकुटि तन जाती है तथा उन्हें ऐसा लगने लगता है कि हमारे देश में अल्प संख्यकों पर अब शामत आ जावेगी और उन्हें यह देश छोड़ना पर जायेगा. आखिर ऐसा क्यों? (4) हमारे देश में प्रजातंत्र है। पर देश की बागडोर सम्हालने वाले अधिकांश राजनैति दलों में वंशवाद हावी है। देश की ग्राम पंचायत से लेकर केन्द सरकार के सभी पदों तथा राजनैतिक दलों के भी जिला स्तर से लेकर केन्द्र स्तर तक के सभी पदों पर केन्द्रीय हाईकमांड की इच्छानुसार मनोनयन को ही वास्तविक प्रजातंत्र कहकर देशवासियों को भरमाया जाता है। क्या ऐसे लोगों के हाथों हामरे देश में वास्तविक प्रजातंत्र सुरक्षित रह पायेगा? ये समस्त विडम्बनाएँ हमारे देश के प्रबुद्ध वर्ग के लिए एक चुनौती हैं
Posted on: Sun, 23 Jun 2013 07:19:58 +0000

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