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By : Shirdi Sai Baba - The miracle man of India ऐसे ही एक अन्य अवसर पर उन्होंने दादा से कहा कि देखो तो नमकीन पुलाव कैसा पका है । दादा ने यों ही मुंह देखी कह दिया कि अच्छा है । तब वे कहने लगे कि तुमने न अपनी आँखों से ही देखा है और न जिहा से स्वाद लिया, फिर तुमने यह कैसे कह दिया कि उत्तम बना है । थोड़ा ढक्कन हटाकर तो देखो । बाबा ने दादा की बाँह पकड़ी और बलपूर्वक बर्तन में डालकर बोले – थोड़ासा इसमें से निकालो और अपना कट्टरपन छोड़कर चख कर देखो । जब माँ का सच्चा प्रेम बच्चे पर उमड़ आता है, तब माँ उसे चिमटी भरती है, परन्तु उसका चिल्लाना या रोना देखकर वह उसे अपने हृदय से लगाती है । इसी प्रकार बाबा ने सात्विक मातृप्रेम के वश हो दादा का इस प्रकार हाथ पकड़ा । यथार्थ में कोई भी सन्त या गुरु कभी भी अपने कर्मकांडी शिष्य को वर्जित भोज्य के लिये आग्रह करके अपनी अपकीर्ति कराना पसन्द न करेगा । #ExposeShirdiSai
Posted on: Mon, 23 Sep 2013 10:53:01 +0000

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