Hari Om Singh मनीषा पाण्डेय - TopicsExpress



          

Hari Om Singh मनीषा पाण्डेय मीडिया के लोग काफी बढ़-चढ़कर तरुण तेजपाल के चरित्र के खिलाफ और उस लड़की की बहादुरी के पक्ष में चीख-चिल्‍ला रहे हैं। लेकिन ये तो वो बात है, तो पर्दे पर दिख रही है या अखबार के पन्‍नों पर छप रही है। इसके अलावा उन मीडिया वालों की निजी महफिलों में, चाय की दुकानों, पान की गुमटियों और पर्सनल दारू पार्टियों में भी तो कभी तेज, कभी दबी आवाज में कुछ खुसुर-पुसुर हो रही है। जो नहीं जानते, उनकी जानकारी के लिए कुछ बातें - 1- लड़की बहुत तेज और चालू है। 2- फोटो देखी उसकी। थिंक फेस्‍ट की वेबसाइट पर। कुछ ज्‍यादा ही चलता-पुर्जा लग रही है। 3- मेरी समझ में नहीं आता कि दो मिनट में लिफ्ट में कोई कपड़ा कैसे उतार देगा। 4- अरे भाई मिनी स्‍कर्ट पहनी थी। उठाने में 30 सेकेंड भी नहीं लगते। 5- अब ऐसे कपड़े पहनेंगी तो आदमी क्‍या समझेगा। 6- खुद उसके कैरेक्‍टर का क्‍या भरोसा। आजकल तो लड़कियां खुद ही ——– (I am ashamed to write those words.) 6- ये लड़कियां खुद ही क्‍लीवेज दिखाकर इनवाइट करती हैं और बाद में ढोल पीटती हैं। 7- लेकिन बॉस दम है लड़की में। इतने बड़े आदमी की नाक में दम कर दिया। 8- इसीलिए मैं कहता हूं कि इन लड़कियों से दूर ही रहना चाहिए। 9- अरे यार, लड़की खुद आगे बढ़कर अदाएं दिखाएगी, आगे बढ़ने के लिए बॉस के साथ सोना चाहेगी तो इसमें आदमी की क्‍या गलती। 10 – अब कौन नौकरी देगा उसे। उसका कॅरियर तो खत्‍म। 11- अब लड़कियों को ही नौकरी नहीं मिलेगी आसानी से। और ऐसी तेज-तर्रार लड़कियों को तो बिलकुल ही नहीं। सच सिर्फ वो नहीं होता, जो सामने दिखता है। एक सच पर्दे के पीछे का भी है। हम लड़कियां जानती हैं कि हमारे चारों ओर हर सेकेंड ये हो रहा है, लेकिन जाने क्‍या बात है कि अब हमें डर नहीं लगता। वो अपनी महफिलों में चाहे जो कहते फिरें, हमारे मुंह पर कहेंगे तो अपना सिर फुड़वाएंगे। लिसन, अब हमें डर नहीं लगता।
Posted on: Wed, 04 Dec 2013 02:12:29 +0000

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