Khula Manch: Your opinion आतंकवाद पर इस वर्ष मक्का मोअजमा के इमाम ने यह स्पष्ट कर दिया कि ये गैर इस्लामी है पवित्र क़ुरान में भी बेगुनाह के खून को हराम करार दिया है, उसके बावजूद जब आतंकवाद की बात आती है तो हमेशा शक की सुई मुस्लिम समुदाय की ओर कर दी जाती है, ऐसा केवल इसलिए है कि विशव भर में इस्लाम और मुस्लमान को बदनाम करने की गहरी साज़िश इजराइल और अमेरिका दुआरा रची जारही है, जहाँ तक हमारे देश की बात है, आप मुझे यह बताये साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल प्रोहित के पकड़ाने के पहले मीडिया का आतंकवाद पर क्या रोल रहा है; देश भर में कहीं भी किसी मुस्लिम संगठन ने कभी यह नही कहा कि इसके लिए कट्टर हिंदुत्व संगठन ज़िम्मेदार है, यह देश के गृह मंत्री ही थे जिन्हो ने कहा की आरएसएस देश भर में आतंकी घटनाओ के लिए जिम्मेदार है, समझौता एक्सप्रेस, अजमेर दरगाह, मक्का मस्जिद और बोध गया के धमाको ने आतंकवाद कि परिभाषा को बदल डाला, अब इसके लिए क्या किसी मुस्लिम नेता यह कभी मांग कि ,के संघटनो पर पाबन्दी लगाई जाये, एक रिपोर्ट गृह विभाग के पास यह भी थी की ओड़िसा के जंगलो में 30000 महिलाओं और पुरषों को शास्त्र चलाने की ट्रैनिंग दी गई यह केवल एक समाचार पत्र में फ़ोटो सहित प्रकाशित हुआ था, और इस सबके पीछे कौन लोग है यह आप बेहतर बता सकते है, पर यह भी एक कड़वा सच है कि मुस्लिम समुदाय में कुछ अनपढ़ लोग है जो आज भी पाकिस्तान के साथ हमदर्दी रखते है,उन्हें ही रास्ते पर लाना है, क्यों की देश के शर्त पर कोई समझौता नहीं किया जासकता, मुस्लिम देश भक्त है इसके लिए उन्हें प्रमाण पत्र नहीं चाहिए, एक नही हज़ार मौकों पर यह साबित किया जाचुका है, सेकुलरिज्म का अर्थ यह नही है कि हिन्दू भाई नमाज़ पढ़े और टोपी लगाये, मुस्लिम मंदिरों में मत्था टेकें, धार्मिक आस्था के साथ किसी को बुरा न कहे ,न किसी के धार्मिक आस्था से खिलवाड़ किया जाये तभी देश आगे बढ़ेगा ,वरना बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देश दुनिया भर में भारत कि गलत छवि बनाकर पेश करते रहेंगे।
Posted on: Sun, 03 Nov 2013 11:50:17 +0000
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