RAJPOOT POEM ----:क्षत्राणी:---- मै - TopicsExpress



          

RAJPOOT POEM ----:क्षत्राणी:---- मै दुर्गा की जयेष्ट-पुत्री,क्षात्र-धर्म की शान रखाने आई हूँ ! मै सीता का प्रतिरूप ,सूर्य वंश की लाज रखाने आई हूँ!1! मै कुंती की अंश लिए ,चन्द्र-वंश को धर्म सिखाने आई हूँ ! मै सावित्री का सतीत्त्व लिए, यमराज को भटकाने आई हूँ !२! मै विदुला का मात्रत्व लिए, तुम्हे रण-क्षेत्र में भिजवाने आई हूँ ! मै पदमनी बन आज,फिर से ,जौहर की आग भड़काने आई हूँ !३! मै द्रौपदी का तेज़ लिए , अधर्म का नाश कराने आई हूँ ! मै गांधारी बन कर ,तुम्हे सच्चाई का ज्ञान कराने आई हूँ !४! मै कैकयी का सर्थीत्त्व लिए ,तुम्हे असुर-विजय कराने आई हूँ ! मै उर्मिला बन ,तुम्हे तम्हारे क्षत्रित्त्व का संचय कराने आई !५! मै शतरूपा बन ,तुम्हे सामने खडी , प्रलय से लड़वाने आई हूँ! मै सीता बन कर ,फिर से कलयुगी रावणों को मरवाने आई हूँ!६! मै कौशल्या बन आज ,राम को धरती पर पैदा करने आई हूँ ! मै देवकी बन आज ,कृष्ण को धरती पर पैदा करने आई हूँ !७! मै वह क्षत्राणी हूँ जो, महा काळ को नाच नचाने आई हूँ ! मै वह क्षत्राणी हूँ जो ,तुम्हे तुम्हारे कर्तव्य बताने आई हूँ !८! मै मदालसा का मात्रत्त्व लिए, माता की माहिमा,दिखलाने आई हूँ ! मै वह क्षत्राणी हूँ जो ,तुम्हे फिर से स्वधर्म बतलाने आई हूँ !९! हाँ तुम जिस पीड़ा को भूल चुके, मै उसे फिर उकसाने आई हूँ ! मै वह क्षत्राणी हूँ ,जो तुम्हे फिर से क्षात्र-धर्म सिखलाने आई हूँ !१०!
Posted on: Sat, 06 Jul 2013 10:24:55 +0000

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