READ & SHARE Uttarakhand Tourism प्रकृति के - TopicsExpress



          

READ & SHARE Uttarakhand Tourism प्रकृति के तांडव के बाद जहां चारों तरफ दर्द पसरा हुआ है और दर्दनाक कहानियां सुनाई दे रही हैं, वहीं साहस, जीने की ललक और मदद करने के जज्बे की भी कमी नहीं है। 16 साल की नंदिता इसकी महज एक मिसाल है। छह दिन तक पैदल चलने और चारों तरफ बिखरी लाशें देखने के बावजूद उसका न तो जीने का जज्बा कम हुआ, न ही दूसरों की मदद करने का जुनून। रविवार दोपहर को जौलीग्रांट एयरपोर्ट से अपने परिवार के साथ दिल्ली की ओर रवाना होने से पहले नंदिता ने जो बताया, वह चारों तरफ पसरी उदासी में भी उम्मीद की रोशनी देता है। मध्य प्रदेश के खरगौन की रहने वाली नंदिता 15 जून को अपने पिता, मां, छोटे भाई और नानी के साथ केदारनाथ पहुंची थी। लेकिन वहां ऐसी आपदा आई कि पूरा परिवार अलग हो गया। नंदिता किसी ग्रुप के साथ रामबाड़ा की तरफ निकली। उसने बताया कि चारों तरफ लाशें पड़ी थीं। उनमें ज्यादातर महिलाओं और बच्चों की थीं। एक 5-6 महीने का बच्चा अकेला बिलखता दिख उसे अपनी पीठ पर बांध लिया। मेरे साथ जो लोग थे, उन्होंने भी तीन बच्चों को बचाया। एक छोटे बच्चे ने भूख-प्यास से दम तोड़ दिया, हम उसे बचा नहीं पाए। बाकी तीन बच्चों को हमने गौरीकुंड में पुलिस को सौंप दिया। नंदिता ने बताया कि एक दम तोड़ती महिला सबसे गुहार लगा रही थी कि कोई मेरे बच्चे को ले जाओ। उसके पति की डेडबॉडी भी वहीं पड़ मैं जिस ग्रुप के साथ पहाड़ी पार कर रही थी, उसमें एक महिला ने उस बच्चे को ले लिया और वादा किया कि उसे अपने बच्चे की तरह पालेगी। उस महिला का अपना बच्चा नहीं थ भूखे-प्यासे हम छह दिन पैदल चलते रहे, तब जाकर गौरीकुंड पहुंचे। वहां पुलिस के कैंप में मुझे मां, नानी और भाई मिल गए। हम दो दिन कैंप में रहे। मैंने लोगों को पानी पिलाने का जिम्मा संभाला, जो काफी दूर से लाना पड़ता था। वहां कोई महिला पुलिसकमीर् नहीं थी इसलिए महिलाओं को संभालने में पुलिस को दिक्कत आ रही थी। एक पुलिस अधिकारी ने जब मुझे सबके लिए पानी लाते देखा तो पूछा कि क्या मैं उनकी मदद करूंगी? फिर उन्होंने मुझे पुलिस की ड्रेस दे दी। मैंने दो दिन वह ड्रेस पहनकर महिलाओं को खाना खिलाया और उन्हें संभाला। इसी दौरान, कैंप में मेरे पिता भी पहुंच गए और पूरा परिवार मिल गया। जब नंदिता एयरपोर्ट पर हमें यह सब बता रही थी, तभी वहां आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले से केदारनाथ यात्रा पर गए छह लोग आए, जिन्हें आमीर् रेस्क्यू करके लाई थी। वे नंदिता को देखते ही पहचान गए। उन्होंने भी बताया कि नंदिता ने किस तरह गौरीकुंड में सबकी मदद की। उनमें से एक, मल्लिकार्जुन नायडू ने बताया कि कैंप में लोगों ने एकदूसरे की काफी मदद की। जिसके पास जो खाने-पीने को था, सभी आपस में बांटकर खा रहे थे।
Posted on: Mon, 24 Jun 2013 09:20:57 +0000

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