i just loved this poem वृक्ष हों भले - TopicsExpress



          

i just loved this poem वृक्ष हों भले खड़े हों घने, हों बड़े एक पत्र छाँह भी मांग मत! मांग मत! मांग मत! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! तू न थकेगा कभी तू न थमेगा कभी तू न मुड़ेगा कभी कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! यह महान दृश्य है चल रहा मनुष्य है अश्रु-स्वेद-रक्त से लथ-पथ! लथ-पथ! लथ-पथ! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
Posted on: Thu, 25 Jul 2013 18:24:25 +0000

Recently Viewed Topics




© 2015