अंतरा ! तुम कन्सीव करोगी ? - TopicsExpress



          

अंतरा ! तुम कन्सीव करोगी ? मतलब ? तुम कन्सीव करने का मतलब नहीं समझती ? मेरा मतलब ये कि तुम बेबी पैदा करोगी ? अर्थात् तुम्हें पता है कि तुम क्या कह रहे हो, बत्तीसी झाड़ दूंगी तुम्हारी.. आखिर तुम्हें हिम्मत कैसे हो गई इतनी आगे की बात करने की ? तुम भी टिपिकल बिहारी लड़के की तरह ही निकले आखिर में.. मुझे लगा कि सालों घर से बाहर रहे हो तो पॉलिश्ड हो गए होगे..लेकिन नहीं. वही सड़े के सड़े दिमाग लेकर ही घूमते हो. तुम्हें ये लगता है न कि एक बार मैंने ऐसा कर लिया तो हमारे संबंध जीवनभर तक के लिए फिक्स हो गए..गलत, बिल्कुल गलत यथार्थ. ऐसा जरुरी नहीं है. अभी तूने अंतरा को ठीक से समझा नहीं है..और ये दिमाग लेकर समझ भी नहीं सकते कभी. जाओ, किसी अच्छे सकाइअट्रस्ट से इलाज करवाओ. अंतरा अर्थात् की बात पर कुछ इस तरह ब्लास्ट हुई थी कि उसे ये भी ध्यान नहीं रहा कि वो उठकर बहुत पहले ही बालकनी चला गया है. पलटकर देखा तो बालकनी में खड़े अर्थात् की बड़ी सी परछाई कमरे में मौजूद थी लेकिन वो खुद नहीं था. उसका मन किया कि उसे उसी हालत में छोड़ दे लेकिन रहा नहीं गया. वो जानना चाहती थी कि उसने कहां तक उसकी बात सुनी है ? तुम्हें कुछ समझ आया अर्थात्, मैं क्या बोल रही थी ? एक लड़की को जिससे तुम्हारी दोस्ती हुए महज चार महीने हुए हैं, ऐसी बातें करने का क्या मतलब होता है, समझते हो कुछ ? अंतरा की जो बात कमरे में अधूरी रह गई थी वो अब बालकनी में फिर से शुरु हो गई. अर्थात् अब वहां से कहीं और नहीं जा सकता था. दरवाजे पर वो खड़ी थी या तो वो बालकनी से बस कूद ही सकता था. पहले से जो वो थोड़ा-थोड़ा सुबक रहा था, अब जोर-जोर से रोने लगा. और एक बार शुरु हुआ तो चुप होने का नाम ही नहीं. अंतरा को बिल्कुल भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि बात-बात पर तर्क देनेवाला अर्थात् ऐसा भी कर सकता है. फिर उसे ये भी डर था कि सटी बालकनी में कोई और आ गया तो.. ओए हीरो, ऐसा क्या कह दिया मैंने जो तेको ऐसी मिर्ची लगी कि चुप होने का नाम ही नहीं ले रहा. रोना चाहिए था मुझे औऱ उल्टे तूई. चल अंदर चल, फिर जितनी मर्जी हो, रो लेना..लेकिन अर्थात जो अब तक खड़ा था, वहीं जमीन पर बैठ गया और घुटने में सिर गड़ाकर पहले से भी ज्यादा जोर-जोर से रोने लग गया. अब बताएगा कि मेरी कौन सी बात तेको चुभ गई. इतनी सारी बातें तो एक साथ तो चुभी नहीं होगी..जो एक बात चुभी है तो ये हाल है, पूरी चुभती तो अब तक तो हार्ट अटैक या ब्रेन हैम्रेज से टें बोल जाता..चल बता. नखरे न कर. बोल न ! स्साले, मेको पहले दिन से पता था जब तुझे प्रोपोज किया था और तूने हां कर दिया था कि मैं तेरे साथ रिलेशनशिप में नहीं आने जा रही, गोद लेने जा रही हूं. बस तेरा शरीर पांच फिट 8 इंच है, दिमाग वही क्लास नाइन्थ वाला. बोलेगा भी या लगाउं दो चमाट. रोते हुए अर्थात् ने अचानक से अंतरा को बाहों में भर लिया और कहा- बस यही बात अंतरा, यही बात. तू मुझे पिछले चार महीने से बच्चा-बच्चा कहती आयी है. रेस्तरां में, कॉलेज में, कैंटीन में, उन दोस्तों के सामने जिसे मैं पहले एक बार हड़का देता तो मजाल है कि चूं-चपड़ करते लेकिन तूने मुझे उन सबके आगे बच्चा बना दिया. अब हंसते हैं, मजाक उड़ाते हैं. हमें डांटेगा स्साले..कॉलेज तो तू डायपर पहनकर आता है कि पता नहीं कब अंतरा डांट दें और तेरा लीक हो जाए.. मैं उन स्सालों को बताना चाहता हूं कि मैं बच्चा नहीं हूं. मैं सब जानता हूं..तभी तुझसे ये सब कहा. मैं बच्चा कहलाना नहीं चाहता यार..मैं मैच्योर होना चाहता हूं.. ( लप्रेकः मोदियापा माहौल से निकलकर )
Posted on: Mon, 30 Sep 2013 13:18:27 +0000

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