अपने जीवन की एक मार्मिक घटना बताता हूँ मेरा फुफेरा भाई अपने विवाह के सवा वर्ष बाद एक दुर्लभ बीमारी से मर गया। उसकी पत्नी ने पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ के व्रत रखे थे। उसके बीमार होने के बाद तो बेचारी का आधा समय पूजा पथ में ही बीतता था। घंटो मूर्ति के आगे बैठी ईश्वर से अपने पति की दीर्घायु की कामना करती रहती थी। उसका दुःख देख कर मेरा मन भी व्यथित रहता था। डॉक्टर ने जवाब दे दिया था पर उसे अपने करवाचौथ के व्रत की शक्ति और संकल्प पर पूरा विश्वास था। जब मेरे भाई की मृत्यु हुई तो वो बिलकुल नहीं रोई। वो अपने साथ हुए धोखे से अचंभित थी। अब उसका ईश्वर पर से ही विश्वास उठ चुका था। क्या फायदा ऐसे ईश्वर को मानने से जो पूरी श्रद्धा से व्रत करने पर भी न सुने। -------------- मैं पहले और बाद में चाह कर भी उस बेचारी को कुछ समझा पाने में असमर्थ था। मै करवाचौथ व्रत समर्थकों से पूछना चाहता हूँ कि इस महिला को क्या कहूँ ?
Posted on: Wed, 23 Oct 2013 03:03:24 +0000
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