अब जो मंदिर की स्थिति है वही रहनी चाहिए, वैसे भी 50 साल पहले केदारघाटी में केवल मंदिर था, पर व्यापारियों ने इसे मार्किट में परिवर्तित कर दिया था, जिसका दंड उन्हें मिला, प्रकृति से छेड़छाड़ न हो और धर्म स्थानो पर पाखंडी न जाए यही है एक मात्र मार्ग, तीर्थ स्थान केवल ईश्वर का ध्यान व् स्तुति के लिए होते है, न की पाप धोने की आड़ में अश्लीलता बढाने और हनीमून मनाने का जय केदारनाथ, © ® #Hindurashtra
Posted on: Mon, 24 Jun 2013 09:42:54 +0000
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