अहिंसा को अपना धर्म मानने वाले मोहनदास कर्मचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) स्वाधीनता संग्राम के राजनैतिक और आध्यात्मिक नेता थे. सत्याग्रह, अहिंसा और सादगी को ही एक सफल मनुष्य जीवन का मूल मंत्र मानने वाले गांधी जी के इन्हीं आदर्शों से प्रभावित होने के बाद रबिंद्रनाथ टैगोर ने पहली बार उन्हें महात्मा अर्थात महान आत्मा का दर्जा दिया था. गांधी जी ने अपना जीवन सत्य की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया था. अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए उन्होंने स्वयं अपनी गलतियों पर प्रयोग करना प्रांरभ किया. अपने अनुभवों को उन्होंने अपनी आत्मकथा “माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ” में संकलित किया था. अंग्रेजी शासनकाल में गांधी जी के नेतृत्व में देशभर में महिलाओं के अधिकारों और धार्मिक एवं जातीय एकता को बढ़ावा देने के लिए कई आंदोलन चलाए गए. उन्होंने अस्पृश्यता को जड़ से समाप्त करने के लिए भी कई यात्राएं की. लेकिन विदेशी शासन से मुक्ति दिला भारत की जनता को आजाद कराना ही महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का सबसे प्रमुख लक्ष्य था. गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भारतीय स्वतंत्रा सेनानियों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की. Read: गर गांधी जी चाहते तो बच सकते थे भगतसिंह
Posted on: Wed, 02 Oct 2013 07:37:34 +0000
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