आज मुझे मायावती पर अपनी - TopicsExpress



          

आज मुझे मायावती पर अपनी टिप्पणी पर अनर्गल प्रलाप करने वाले मित्रों को ब्लाक और अन्फ्रेंड करके वही शांति मिली है, जो मायावती को हराम की दौलत इकट्ठी करने में मिली है. आज मुझे पता चला कि शांति का अर्थ क्या होता है? इन (अ)मित्रों ने मुझे कुत्ता कहा, गुलाम कहा, बिका हुआ कहा और न जाने क्या-क्या कहा. कुत्ता तो मैं भी इन्हें कह सकता हूँ, क्योंकि ये मायावती के ऐसे कुत्ते हैं, जो कितनी ही दुम हिलाएं, मायावती इन्हें घास भी नहीं डालने वाली. इनका एक ही आलाप है कि दूसरे लोगों की अवैध कमाई को मैं क्यों नहीं देखता? इन मायावती के चमचों का साफ साफ यह कहना है कि अगर सब भ्रष्ट हैं तो हम भी भ्रष्ट बनें. भ्रष्टाचार तो अम्बेडकर के समय में भी था और वह अपने समय के भ्रष्टाचार पर किताब भी लिखना चाहते थे. पर आंबेडकर भ्रष्ट क्यों नहीं हुए, जब उनके समय में भी राजनीति में भ्रष्टाचार था? आंबेडकर ने दलितों को शासक बनने को कहा था, बेईमान और भ्रष्ट शासक बनने को नहीं कहा था. जब दलितों को भी बेईमान और भ्रष्ट शासक ही बनना है तो फिर उनमें और दूसरों में फर्क क्या रह जाएगा? ऐसे दलित नेतृत्व को तो बहिष्कृत कर देना चाहिए. और वे लोग जो भ्रष्ट मायावती का समर्थन कर रहे हैं, मुझे पूरा यकीन है कि ये लोग अपनी माता -पिता की भ्रष्ट संतान हैं.
Posted on: Thu, 14 Nov 2013 18:21:32 +0000

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