आज रमजान-उल-मुबारक के इस पाक महीने का आखिरी रोज़ा है अल्लाह तआला का लाख लाख शुक्र है कि उसने हमे ये अजीम नियामत अता फरमाई । मज़हब-ए-इस्लाम में दो ईद है एक ईद-उल-फ़ित्र और दूसरी ईद-उल-अजहा इसके अलावा इस्लाम धर्म में कोई और ईद नही है लेकिन अफ़सोस मुसलमानों ने तमाम तरह की ईदे गढ़ ली है जैसे ईद मिलादुन्नबी और ईद वाफतुन्नाबी और तमाम जो सरासर गलत है है और इन ईदों का इस्लाम धर्म से कोई सम्बन्ध नही है इसलिए मुसलमानों को इससे बचना चाहिए । अल्लाह का शुक्र कि उसने रोज़ेदारो के लिए एक ख़ुशी का दिन ईद मुकर्र फ़रमाया हकीकत यही है सच्चे मानो में ईद खालिस उन्ही के लिए है जिन्होंने रमजान-उल-मुबारक के सभी रोज़े रखे और अपना ज्यादा से ज्यादा वक़्त इबादत-ए-इलाही में गुजारा । बदबख्त है वो शख्स जिसको रमजान-उल-मुबारक जैसा पाक महीना मिला और उसने अपने आपको माफ़ न करवा पाया । हम आपको थोड़ी देर में ईद-उल-फ़ित्र की तमाम सुन्नतो के बारे में बताएँगे ...बने रहिये हमारे साथ आपका भाई फैजान
Posted on: Thu, 08 Aug 2013 06:13:32 +0000
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