आज सुबह सबसे पहली खबर पढ़ी - TopicsExpress



          

आज सुबह सबसे पहली खबर पढ़ी कि जिया खान के आत्महत्या केस में सूरज पंचोली को जो 21 दिन से जेल में रखा गया था, मुंबई हाई कोर्ट ने उसे जमानत दे दी है, लेकिन उसे हर रोज़ पोलिस थाने जाकर हाज़री देनी होगी और उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया गया है ! मुंबई हाई कोर्ट की जज ने ये भी कहा कि उस लड़के को 21 दिन तक जेल में रखना भी सही नहीं था, क्योंकि जो हुआ उसके लिए वह अकेला ज़िम्मेदार नहीं है, और जो ख़त जिया ने लिखा वह किसी को संबोधित करके नहीं लिखा गया था, तो जब वह ख़त किसी तक पहुँचा ही नहीं तो उसे दोषी कैसे माना जाये ! सूरज ने जानकार कभी नहीं चाहा था कि जिया आत्म हत्या करें, और जिया पहले भी आत्म हत्या की कोशिश कर चुकी थीं !! औरों का तो पता नहीं लेकिन लेकिन मैं इसमें हाई कोर्ट के फैसले से सहमत हूँ !! जिया ने जो किया वह बहुत ग़लत था, हालाँकि जो उनके साथ हुआ वह भी बहुत ग़लत था, उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया, उन्होंने एक बार अबोर्शन भी कराया, प्यार के नाम पर उनके साथ हो रहे धोखे ने उन्हें मानसिक रूप से कमज़ोर कर दिया था, लेकिन आत्महत्या इसका इलाज़ कतई नहीं था !! जिया एक समझदार लड़की थीं और जब उन्हें सामने दिख रहा था कि कोई लड़का उनके साथ फरेब कर रहा है तो उन्हें उससे दूर हो जाना चाहिए था !! नारी प्रताड़ना विरोधी कितनी ही महिलाओं ने सूरज को नीच कहा होगा, शायद मैं भी कह दूँ लेकिन अंततः अत्याचार करने वाला जितना ग़लत है सहने वाला भी उतना ही...और किसी एक व्यक्ति के लिए अपने माता-पिता, परिवार, दोस्तों का ख़याल ना करना कहाँ की बहादुरी है ?? हम स्त्रियाँ इसी तरह से हिम्मत हारकर पुरुषों की हिम्मत बढ़ाते हैं और फिर बेचारी का ठप्पा लगाये घूमते हैं !! अगर सच में लगता है कि स्त्री बेचारी है तो वो सिर्फ उसकी अपनी वजह से है, हमारे देश में स्त्रियों के लिए कितने कानून बने हैं, और अब तो पुलिस भी 70-80% मामलों में आँख बंद करके मदद कर देती है तो फिर लड़ते क्यूँ नहीं ? यदि आपका पिता, पति या भाई आप पर जबरदस्ती करके अपनी हुकूमत चला रहा है, और आप उसे इसलिए सहन कर रही हैं क्योंकि आप समाज से डरती हैं तो मेरी नज़र में आप बेचारी नहीं कायर हैं, और ऐसे में दोषी वह पुरुष नहीं आप ख़ुद हैं, क्योंकि आपके पास अधिकार होते हुए भी आप उनका इस्तेमाल नहीं कर रहीं !! मैंने कई ऐसे पुरुषों को देखा है जो स्त्रियों की आज़ादी के कतई खिलाफ़ थे, घरेलु हिंसा भी करते थे, लेकिन आज उनके घर की बहु बेटियों की हिम्मत की वजह से वे पूरी तरह बदल चुके हैं और ना सिर्फ स्त्रियों का सम्मान करते हैं बल्कि उन्हें सपोर्ट भी करते हैं !! इसलिए बेचारी बनकर अपनी कायरता को पुरुषों पर थोपना छोड़िये और ख़ुद के लिए कुछ करिए, और यदि नहीं कर सकती हैं तो शांति से उसे स्वीकारिये, यूँ पुरुष जाती को नीचा दिखाने से कुछ नहीं होने वाला ! आपके एक कदम से आप किसी के सम्मान को ठेस नहीं पहुँचा रही हैं बल्कि किसी की सोच को अच्छा बनाने में मदद कर रही हैं !! ...... अंकिता !!
Posted on: Tue, 02 Jul 2013 10:24:43 +0000

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