आपने कभी गली मोहल्लों के - TopicsExpress



          

आपने कभी गली मोहल्लों के दादाओं को गौर से देखा है.....? मैंने देखा है....और इतना करीब से देखा है कि उनपर पूरी एक किताब लिख सकती हूँ .... उनकी पैदाईश से लेकर दादागिरी का विकास....उसका पोषण और रखरखाव....physical aspects जैसे titles के साथ .... कई दादाओं से पाला पड़ चुका था कभी मेरा..... कोई लड़कियों को छेड़ने वाला .... तो कोई बचाने वाला मसीहा type..... इनके बीच.....मुझे याद है एक लड़का....उसका नाम तो कुछ और ही था मगर गुंडों को लोग उनके नाम से कहाँ जानते हैं भला...... लिहाज़ा उसे "पोंगा पंडित" कहते थे लोग...... वो सूनसान गलियों में स्कूल कॉलेज से लौटती लड़कियों की राहें रोककर खड़ा रहा करता था.... लडकियां भरकस कोशिश करती कि रास्ता बदल कर किसी और short cut या long cut से निकल जाएँ ..... पर वो......hhhhh.......आखिर एक कामयाब गुंडा ऐसे ही थोड़ी था..... मेरी सहेली की कलाई कई बार उसने पकड़ी....वो थर थर कांपती थी उसके नाम से..... रोज़ चिठ्ठियाँ जबरन पकड़ा दिया करता था....... मुझे पता चला तो सहेली की आँख के आंसू बरदाश्त नही हुए.....मैंने थोडा लंबा रास्ता लेकर उसके साथ जाने का फैसला किया अब साब.....वो मेरे पीछे लग गया..... रोज़ चिठ्ठी अब मुझे देने लग गया...... मैं बड़े इत्मीनान से उसको हाथ में लगी अपनी book पकड़ने को कहती " एक मिनट पकड़ो ज़रा" और बड़े आराम से उस ख़त के जितने possible होते छोटे छोटे छोटे छोटे टुकड़े करके फूंक मारकर उड़ा दिया करती थी...... मुझे उस पोंगे से ज़रा सा भी डर नही लगा कभी..... एक या दो बार मैंने उस हट्टे कट्टे अपने से डेढ़ दो गुने लड़के को झापड़ भी जड़ दिए थे जब उसने मेरी कलाई की तरफ हाथ बढाया... एक दिन उसने मेरा दुपट्टा खींचा......गली के कई सारे लोग अपने खिड़की दरवाजों से बाहर झाँकने लगे.... पर किसी की हिम्मत नहीं की बाहर आकर उसे दो जड़ दे...... मैंने दुपट्टा उतारा और उसके उपर उछालकर मुस्कुराते हुए कहा..... " लो....अब तुम ही दुपट्टा पहना करो.....बहुत अच्छे लगते हो....साथ में matching चूड़ियाँ और बिंदी भी पहनोगे तो अच्छी अच्छी हीरोइनों को मात दे दोगे" उसे 440 वोल्ट का करंट लगा.....उसने ससम्मान मेरे दुपट्टा मुझे लौटाया और ऐसा गायब हुआ कि कई महीनो तक उसके दर्शन नही हुए किसी को.... फिर वो रक्षाबंधन पर राखी लेकर मेरे घर आया पर मैंने किसी लड़कियों को छेड़ने वाले गुंडे को अपना भाई बनाने से साफ़ इनकार कर दिया.... उसने मेरे मम्मी पापा से हाथ जोड़कर मिन्नतें कीं......और मुझ पर दवाब बनाने को कहा तब पापा ने मुझे उसको राखी बांधकर माफ़ करने के लिए तैयार किया..... और बदले में मैंने उससे सुधरने का वचन लिया..... फिर कभी किसी की हिम्मत नही हुई कि पोंगा की बहन या सहेलियों की तरफ कोई आँख उठाकर भी देखे "गुंडागर्दी " तभी तक सम्भव है जब तक कोई डरने के लिए तैयार बैठा है....... आप पलट कर मारना सीख लीजिये ....गुंडे खुद ब खुद गर्दी छोड़ देंगे
Posted on: Thu, 08 Aug 2013 16:20:01 +0000

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