इस्लाम मे नाच गाना को हराम कहाँ गया है लेकिन इस्लाम को मानने वाले ये बात किस हद तक अपनी जिंदगी मे अमल करते है ये बात किसी से छुपी नही है एक आम मुसलमान कि बात छोङिए लेकिन क्या अल्लाह के वली भी इस तरह का काम मे लोगो की मदद करेंगे.., अक्सर खबरे छपती रहती है कि फलां हीरो/हिरोइन, फलां दरबार/मज़ार पर अपनी फिल्म के हिट होने के लिए चादरपोशी करते है। इस मामले मे ज्यादातर लोग ख्वाज़ा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरबार मे जाते है। क्या ख्वाज़ा मोईनुद्दीन चिश्ती को लोगो ने फिल्मो कि कामयाबी का वसीला बना लिया है...? क्या अल्लाह के वली इन नाचने गाने वाले के फिल्मो के कामयाबी के लिए अल्लाह से दुआ करेंगे...? कैसे ईमान वाले मुस्लिम है जो चंद पैसो के लिए वो काम कराते है जिस का इस्लाम मे कही भी इज़ाजत नही है। जिस चीज़ का इस्लाम इज़ाजत नही देता तो फिर उस काम को मज़ार पर बैठेने वाले खाविंद/मुज़ावर इस्लाम के किस क़ानून के मुताबिक ये अमल कराते है....? . . नोट: [कृपया अपशब्द का प्रयोग किये बिना, उचित तर्क एँव आधार पर ही अपनी बात रखे ]
Posted on: Mon, 15 Jul 2013 12:10:42 +0000
Trending Topics
Recently Viewed Topics
© 2015