ईश्वर एक रहस्य कोई ईश्वर - TopicsExpress



          

ईश्वर एक रहस्य कोई ईश्वर को साकार रूप में मानता है, तो कोई निराकार रूप में। किसी के लिए ईश्वर मंदिरों एवं मूर्तियों में बसते हैं, तो किसी के लिए मन-मंदिर एवं दूसरों की सेवा में। किसी के लिए जीवन ही परमात्मा है, तो किसी के लिए आस-पास मौजूद प्रकृति परमात्मा के समान है। कोई उन तक पहुंचने के लिए भजन-कीर्तन या धार्मिक कर्मकांडों का सहारा लेता है, तो कोई ध्यान एवं योग का। कारण और ढंग भले ही अलग-अलग हो, लेकिन यह सच है कि लोग ईश्वर को किसी न किसी रूप में मानते जरूर हैं। ईश्वर को मानने का चलन सदियों नहीं, युगों पुराना है। ईश्वर का स्वरूप। — PLEASE LIKE- Ancient Shankaracharya Temple Kashmir, शंकराचार्य मंदिर श्रीनगर (कश्मीर ) भिन्न-भिन्न नामों से पुकारे जाने वाले ईश्वर एक ही हैं, जिनकी उपस्थिति के प्रति हम अपना विश्वास प्रकट करने के लिए उनकी वंदना करते हैं। उनकी वंदना करने का एक माध्यम अध्यात्म भी है। सच तो यह है कि परमात्मा तक पहुंचने का बाहरी मार्ग धर्म यानी भक्ति है। वहीं ध्यान के जरिए परमात्मा तक पहुंचने का भीतरी मार्ग अध्यात्म है। हम ईश्वर तक कैसे, किस मार्ग से पहुंचते हैं यह मुख्य नहीं, मुख्य है उन तक पहुंचना। लेकिन सवाल यह उठता है कि मनुष्य ईश्वर को क्यों मानता है? क्या ईश्वर को मानना उसकी जरूरत है या मजबूरी? उसका भय है या विश्वास? उसकी श्रद्धा है या लोभ
Posted on: Mon, 23 Sep 2013 13:31:42 +0000

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