एक झूठ और अनेकों हत्या - TopicsExpress



          

एक झूठ और अनेकों हत्या !इस्लाम के उदय से लेकर आज तक पूरे विश्व में इस्लामी कट्टरपंथीओं ने जिहाद के बहाने करोड़ों निर्दोषों की हत्याएं कर दी है .और कई देश बर्बाद कर दिए है . आजकल भारत में होने वाले दंगों के पीछे यही जिहादी मानसिकता काम कर रही है . .और इस आग में नेता इस्लामी टोपी पहिन कर घी डालने का काम कर रहा है , वास्तव में यह दंगा नहीं जिहाद है ,और आगे भी होती रहेगी .क्योंकि आज तक जितने भी आतंकवादी पकडे गए हैं ,एक ने भी अपने कुकर्मों के लिए पछतावा प्रकट नहीं किया है . उलटे खुद् को बेकसूर बताने की वकालत की है .और न किसी ने भरोसा दिया की वह भविष्य में ऐसे काम नहीं करेगा .हरेक जिहादी आतंकवादी दंगाई कुरान के इस आदेश का पालन करता है . जिसमे कहा गया है ."आज से पहले अनेकों बस्तियां थी , जिनको हमने बर्बाद कर दिया , और लोगों को मौत के घाट उतार दिया ,चाहे लोग रात में घरों में सो रहे थे ,या दोपहर को आराम कर रहे थे " सूरा -अल आराफ 7 :4 कुरान में ऐसी अनेकों आयतें मौजूद है , जो आतंकवाद और दंगे फसाद की प्रेरणा देती रहती है , जिनको मुसलमान अल्लाह का आदेश समझ कर पालन करते हैं , और ऐसे कामों को अपराध नहीं मानते .और यदि कोई कहता है कि कुरान मुहम्मद साहब के दिमाग की उपज है , जिसके आधार पर तुम दुनिया को नर्क बना रहे हो . तो ऐसे लोग तर्क देते हैं कि मुहम्मद साहब तो निरक्षर और अनपढ़ थे वह कुरान कैसे बना सकते थे , यह तो अल्लाह ने ऊपर से भजी किताब है जिसका पालन करना मुसलामानों के लिए फर्ज है .इसी लिए हम इस लेख में यही सिद्ध करेंगे कि मुहम्मद साहब अनपढ़ नहीं , ढोंगी और अति चालाक व्यक्ति थे ,जिनके एक झूठ से रोज हजारों निर्दोष लोगों की हत्याएं हो रही है .देखिये ,1-खुद को अनपढ़ बताया "हे नबी पहले तुम कोई किताब नहीं पढ़ सकते थे और न हाथ से लिख सकते थे .और यदि ऐसा होता तो लोग तुम्हें झूठा बता सकते थे . और तुम पर शक कर सकते थे " सूरा -अनकबूत 29 :57 "और वह अल्लाह ही है ,जिसने अनपढ़ लोगों में से एक ऐसे अनपढ़ को रसूल बनाया ,जो लोगों को हमारी आयतें सुनाता है "सूरा -अल जुमुआ 62 :2 "सिर्फ काफ़िर ही यह कहते हैं कि ,यह कुरान फर्जी है ,जिसे इसने ( मुहम्मद ) ने अपने हाथों से लिखा है, और कुछ लोगों ने उसकी मदद की है " सूरा -फुरकान -25 :4 2-कुरान को अल्लाह की किताब बताया " यह् कुरान एक पतिष्ठित फ़रिश्ते के द्वारा भेजी गयी है ,और अल्लाह की वाणी है "सूरा -हाक्का -69 :40 "यह किताब् संसार के स्वामी अल्लाह ने उतारी है "56 :80 3-कुरान का पालन अनिवार्य किया " यह किताब हमने ( अल्लाह ने) भेजी है , बरकत वाली है ,तो तुम उसी के अनुसार चलो , ताकि तुम पर रहम किया जाए "सूरा -अनआम 6 :156 "तुम्हारे अल्लाह ने तुम्हारे लिए जो किताब उतारी है ,तुम उसीके अनुसार चलो .और उसके सिवा किसी को न तो अपना मित्र या संरक्षक समझो और न उनका अनुसरण करो " सूरा -अल आराफ 7:3 4-धन लोभी रसूल -"यजीद बिन अब्दुल्लाह न कहा कि एक बार हम लोग मीरबाद में थे .तभी एक बददु लाल रंग का एक चमड़ा लेकर आया , और पढ़ने को कहा ,उसमे लिखा था " मुहम्मद रसूल अल्लाह की तरफ से सभी बनू उकैश के लोगों और इब्ने उकैश के लिए , तुम लोग जकात दिया करो और हरेक लूट का पांचवां हिस्सा रसूल को दिया करो , जैसा उनका हक़ बनता है , जब हमने उस बद्दू से पूछा कि यह किसने लिखा है ,तो वह बोला यह अल्लाह के रसूल ने लिखा है ."ثم سألنا: من كتب هذه الوثيقة بالنسبة لك؟ فأجاب: الرسول الله "सुन्नन अबू दाऊद -किताब 19 हदीस 29935-सत्ता के लिए धरती का बटवारा मुहम्मद साहब लिख सकते थे , और उन्होंने लिख कर एक ऐसा अनुबंध किया था जिसमे प्रथ्वी की आधी धरती मुसैलिमः नामके व्यक्ति को देने का वादा किया था . इस्लामी इतिहासकार " इब्ने कसीर -ابن كثير "( 1301–1373 ) ने अपनी किताब "सीरते नवबिय्य - السيرة النبوية "में इसका उल्लेख किया है .इस किताब में लिखा है कि मुहम्मद साहब के समय बनू हनीफा के कबीले में नज्द के पास " मुसैलिमः बिन हबीब -مسلمة بن حبيب" नामके एक व्यक्ति ने खुद को अल्लाह का रसूल घोषित कर दिया ,और जल्द ही उसके अनुयायी पूरे यमामा में फ़ैल गए , वह भी मुहम्मद साहब की तरह सारी धरती का स्वामी बनना चाहता था . एक दिन उसने रसूल के पास एक पत्र भेजा , जो इस प्रकार था ," मुसैलिमः ने मुहम्मद साहब को पत्र में लिखा कि आप और मैं इस धरती में हिस्सेदार बन सकते हैं , आधी धरती हमारी होगी और आधी कुरैश की होगी ." जवाब में मुहम्मद साहब ने लिख कर जो पत्र भेजा था ,वह इस प्रकार है ."من مسيلمة رسول الله إلى محمد رسولالله. السلام عليكم. لقد بذلت شريك معكم في السلطة. لنا ينتمي نصف الأرض ونصف إلى قريشमुहम्मद साहब ने मुसैलिमः को पत्र में यह जबाब दिया "वास्तव में इस सारी जमीन का स्वामी अल्लाह है , लेकिन हम इसका बटवारा कर सकते हैं ." من محمد رسول الله إلى مسيلمةفي الواقع الله هو صاحب الأرض كلها ولكن يمكننا تقاسمهاमुहम्मद साहब ने यह पत्र दस हिजरी के आखिर में लिखा था .Ibn Ishaq in his Sirat’l-Nabawiyyah (5:1166-रसूल का झूठ और पाखण्ड -"उरसा ने कहा कि जब रसूल ने छह साल की आयशा से शादी थी और जब उसकी आयु नौ साल होने पर सहवास किया तो अपने हाथों से आयशा के साथ शादी का एक निकाह नामा लिखा और आयशा को दे दिया .जो उसकी मौत तक उसके पास था "सही बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 88-"अनस बिन मलिक नेकहा कि रसूल ने एक शासक के नाम एक पत्र लिखने के बाद कहा ,कि वह शासक इस पत्र को तब तक नहीं मानेगा , जब तक उस पर कोई मोहर (seal ) नहीं लगी हो .इसलिए रसूल ने चांदी की एक मोहर बनवाई थी .जिसमे लिखा था " मुहम्मद रसूल अल्लाह "फिर पत्र पूरा होने लिखने बाद वही मोहर लगा कर उस शासक को भिजवा दी . और वह मोहर हमेशा रसूल के पास ही रहती थी " सही बुखारी - जिल्द 1 किताब 3 हदीस65 दुनियां में अनेकों ऐसे धूर्त , पाखंडी और चालाक व्यक्ति हुए हैं , उनमे कई खुद को महाविद्वान् ,ज्ञानी और चमत्कारी सिद्ध बता कर लोगों को मुर्ख बनाते थे . और उनका धन लूटते थे ,या उन से हर प्रकार के अपराध करावातेथे , लेकिन मुहम्मद साहब दुनिया के एकमात्र ऐसे अनोखे व्यक्ति थे जो खुद को अनपढ़ बता कर और अपनी कुरान को अल्लाह की किताब बताते थे . जिसका पालन करते हुए जिहादियों ने करोड़ों लोगों की हत्याएं की हैं , और कई देश उजाड़ हो गए .और कई देश तो विभाजित हो गए जब . मुहम्मद साहब ने धन और सत्ता केलिए प्रथ्वी का आधी धरती का बटवारा कर दिया था ,तो मुसलमान भारत को साबित कैसे रहने देंगे .जबकि मुहम्मद साहब अनपढ़ नहीं ढोंगी थे , और कुरान आसमान से नहीं उतरी थी .मक्का और मदीना में ही रची गयी थी . फिर भी इस झूठ को सत्य मानकर अज भी निर्दोष मार्रे जा रहे हैं हटेला
Posted on: Fri, 13 Sep 2013 19:20:09 +0000

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