एक राजस्थानी व्यापारी मुबंई की बैँक मेँ गया, और बैँक मेनेजर से रु.50,000 का लोन मांगा. बैँक मेनेजर ने गेरेँटर मांगा. राजस्थानी ने अपनी BMW कार जो बैँक के सामने पार्क की हुई थी उसको गेरेँटी के तरीके से जमा करवा दी. मेनेजर ने गाडी के कागज चैक किए, और लोन देकर गाडी को कस्टडी मेँ खडी करने के लिए कर्मचारी को सुचना दी. राजस्थानी 50,000 रुपये लेकर चलागया. बैँक मेनेजर और कर्मचारी उस राजस्थानी पर हँसने लगे और बात करने लगे कि यह करोडपति होते हुए भी अपनी गाडी सिर्फ 50,000 मेँ गिरवी रख कर चला गया. कितना बेवकुफ आदमी है. उसके बाद 2 महीने बाद राजस्थानी वापस बैँक मे गया और लोन की सभी रकम देकर अपनी गाडी वापस लेने की इच्छा दर्शायी. बैँक मेनेजर ने हिसाब-किताब किया और बोला : 50,000 मुल रकम के साथ 1250 रुपये ब्याज. राजस्थानी ने पुरे पैसे दे दिए. बैँक मेनेजर से रहा नही गया और उसने पुछा : कि आप इतने करोडपति होते हुए भी आपको 50,000 रुपयो कि जरुरत कैसे पडी.? राजस्थानी ने जवाब दिया : मैँ राजस्थान से आया था. मैँ अमेरिका जा रहा था. मुबंई से मेरी फ्लाइट थी. मुबंई मेँ मेरी गाडी कहा पार्क करनी है यह मेरी सबसे बडी प्रोबलम थी. लेकिन इस प्रोबलम को आपने हल कर दिया. मेरी गाडी भी सेफ कस्टडी मेँ दो महीने तक संभाल के रखा और 50,000 रुपये खर्च करने के लिए भी दिए दोनो काम करने का चार्ज लगा सिर्फ 1250 रुपये. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.! इसिलिए कहते दोस्तो कि "जहा ना पहुचे कोई गाडी , वहा पहुच जाता है मारवाडी"
Posted on: Thu, 20 Jun 2013 06:04:41 +0000
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