कौरव नरेश धृतराष्ट्र - TopicsExpress



          

कौरव नरेश धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे। उन्हें अपने पुत्रों के कुकर्म कभी दिखाई नहीं दिए। कौरव सभा में द्रौपदी का चीरहरण हुआ। धृतराष्ट्र ने यह दुष्कर्म तो नहीं देखा, पर सारा वार्तालाप सुनकर भी वे चुप रहे। द्रौपदी ने गुहार लगाई कि महाराज आपकी उपस्थिति में आपकी कुलवधू का शीलहरण हो रहा है और आप चुप हैं । धृतराष्ट्र को उनकी इस किंकर्तव्यविमूढ़ता की सजा मिली। कौरव कुल खत्म हो गया। डा. मनमोहन सिंह हमारे युग के धृतराष्ट्र हैं। वे नेत्रहीन नहीं हैं, पर उनके कार्यकाल में हुए घोटालों को उन्होंने नजरअंदाज किया है। क्या उन्हें भी महाभारत काल के धृतराष्ट्र की तरह किंकर्तव्यविमूढ़ता की सजा नहीं मिलना चाहिए? भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत क्या उन पर मुकदमा नहीं चलना चाहिए कि उनके कार्यकाल में आजादी के बाद के सबसे बड़े घोटाले होते रहे और वे मूकदर्शक बने रहे। उन्होंने अपनी संवैधानिक जवाबदारी का निर्वहन नहीं किया। संभव है सबूतों के अभाव में न्यायपालिका डा. सिंह को बरी कर दे, पर अपने किस्म का यह सैद्धांतिक मुकदमा कम से कम इस बात की तो मिसाल बनेगा कि जवाबदार व्यक्ति चाहे खुद भ्रष्ट ना हो, पर भ्रष्टाचार की अनदेखी करना भी प्रकारांतर में भ्रष्टाचार है।
Posted on: Wed, 30 Oct 2013 05:02:57 +0000

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