कल हमारे एडमिन रेहान भाई - TopicsExpress



          

कल हमारे एडमिन रेहान भाई ने मांसाहार पर एक पोस्ट डाला था और कमेंट में किसी के सवाल पर उन्होंने हिन्दू धर्म ग्रंथों का हवाला देकर बताया की हिन्दू ग्रंथो में भी मांसाहार जायज़ है| तो एक महाशय ने कहा की ये तो पुरानी बातें हैं यानि की पुराने नियम-कायदे हैं| तो कोई बात नहीं भाई आज की बात करते हैं लेकिन उसके पहले आपको एक बात बता दूं के ईश्वरीय धर्म वो नहीं होता जिसे इंसान बदल सकें, इसीलिए मैं सिर्फ इस्लाम को सनातन धर्म मानता हूँ क्युकी इस्लाम के ग्रन्थ (क़ुरान) को कोई नहीं बदल सकता ये हमेशा ऐसा ही रहेगा (सनातन), खैर अब मुद्दे पर आते हैं और आज की बात करते हैं| मांसाहार का विरोध करने वाले कुछ भी कहें लेकिन हकीक़त ये है की दुनिया में 10% लोग भी शुद्ध शाकाहारी नहीं हैं यही नहीं वेदों और गीता को मानने वाले एकमात्र देश भारत में भी बमुश्किल 30% लोग ही शाकाहारी है, उसमें भी अंडा खाने वाले लोगों को हटा दिया जाए तो 20% शुद्ध शाकाहारी होंगे| वैसे तो वैद मांसाहार के खिलाफ नहीं है फिर भी चलो बहस के लिए मान लेते हैं की आपकी बात सही है| वेदों में मांसाहार को मना बताने वाले लोग ये भी कहते हैं की वैद ईश्वरीय ग्रन्थ हैं और पूरी दुनिया को उसकी शिक्षाएं माननी चाहिए| चलो आपकी ख़ुशी के लिए सिर्फ़ बहस के तौर पर ये भी मान लेते है और एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं जहाँ सब वेदों को सही मानकर शाकाहार अपनाना चाहते हैं| और साथ ही कुछ तथ्यों पर नज़र डालते हैं – मैंने चंद सालों पहले ही स्कूल में पड़ा था की मानव सभ्यता में अभी जितनी खेती की जा रही है उतनी पहले कभी नहीं की गयी | पृथ्वी पर बढ़ती जनसँख्या का बोझ है और खेती के लिए जंगल काटे जा रहे हैं| दुनिया में कई इलाक़े हैं जहाँ खेती करना नामुमकिन है| यही नहीं भारत के ही तटीय इलाकों में लोग जीविका के लिए मछली पर निर्भर हैं, तो अफ्रीका, अरब के रेगिस्तानों और सर्बिया, ग्रीनलैंड के बर्फीले इलाकों में खेती संभव नहीं है| अमेरिका जैसे देशों में मांसाहार कहीं सस्ता है और शुद्ध शाकाहार को अमीरों का चोंचला समझा जाता है| अब आप बताओ की पूरी दुनिया को शाकाहारी कैसे बनाया जाएगा? क्या भारत जैसा देश जहाँ लोग खुद ही भुखमरी का शिकार है वहां पर सब्जियां उगाकर दुसरे देशों पर भेजी जाएँगी? या दुनिया के सारे जंगलों को काटकर खेत बना दिया जाएगा| धार्मिक बातो को अलग रख दिया जाए तो भी व्यवहारिक रूप से ये संपन्न नहीं तो फिर भला कोंकण के तट पर रहने वाले मछुआरे पर मछली खाना हरम कर दिया जाए तो क्या वो ऐसा कर पाएगा? अरब के रेगिस्तान में रहने वाले पर दुम्बा और ऊँट हरम कर दिए जाएँ तो क्या एक ग़रीब व्यक्ति जीवित रह पाएगा| अब मैं काल्पनिक बातें नहीं व्यवहारिक बातें करता हूँ और हकीक़त का तकाज़ा यही है की कोई भी धर्म जो मांसाहार से रोके वो वैश्विक धर्म हो ही नहीं सकता और आप चाहे कितना भी बोलो अब तक यह बात आपको समझ में आ ही गयी होगी की क्यों मांसाहार की इजाज़त देने वाले धर्म दुनिया के कोने कोने में फ़ैले हुए हैं और शुद्ध शाकाहार की शिक्षा देने वाला धर्म केवल एक देश तक सिमटा है| आप इसे ये सोचकर न पढ़ें की एक मुस्लिम ने लिखा है और वो मांसाहार को सही ठहराने की दलील दे रहा है बल्कि ये मेरी एक निष्पक्ष राय है की शुद्ध शाकाहर की शिक्षा न पहले के ज़माने में आम जनमानस के लिए प्रासंगिक थी न आज| और लोग कितना भी मना करें जैन धर्म के अलावा दुनिया का कोई धर्म मांसाहार से नहीं रोकता| Admin01[ALi]
Posted on: Thu, 17 Oct 2013 17:52:26 +0000

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