कहानियाँ क़िस्मत - TopicsExpress



          

कहानियाँ क़िस्मत की ------------------------------------- 1 अरे सुनो सुनो, ओ जमघट वालों अरे, बिहारवालों, ओ UPवालों, सम्हालो जी सम्हालो मराठीवाले आदर्शबाबा, ऐका हो ऐका ओ मन्नु सिंघ (why upsetting ?) ओ तुसी भी सुनो पापे अरे रफ़्ता रफ़्ता आँख मेरी खुली है अरे रफ़्ता रफ़्ता आँख मेरी खुली है आँख मेरी खुली है, बच्चे की तीखी जरा बोली है ज़ुबाँ खुली जब से, बात ऐसी ही करे तब से O God! ऐसा ही problem child ये बचपन से परेशाँ मैं भी हो गई अरे ख़ुद ही बुरी फ़ँस गई ! “मम्मी, मैं ने ऐसा क्या कहा था ?” अरे, पहले bill pass कराया किस ने ? “मम्मीजी, मैं ने” अरे, पहले bill pass करा के बक़वास कहा किस ने ? “मम्मीजी, मैं ने” दोहरी बातें ऐसी, actually problem नहीं अपनी जो उलती-पुलटी करनी, sugar-coated करनी Trade-secret यही असली ! ओ पप्पु बेटा, बात पल्ले पड़ गई ? “पागल हो गया था, Sorry, कुछ ज़्यादा ही कहा गया था !” ओ पप्पुबाबा, बाज़ी पलटी रे पलटी – अरे ब्लोग किया – तू ने कुछ किया नही दद्दूजी ने कहा – तू ने कुछ किया नही सुनो मम्मी – मैं ने कुछ किया नही अरे छुटा मैं – मैं न कुछ किया नही 2 अरे सुनो सुनो, ओ जमघट वालों अरे, differenceवालों, ओ governanceवालों, सम्हालो जी सम्हालो नागपुरवालों, euphoria सोडा, ऐका हो ऐका ओ राजनाथसिंग, (very upsetting) आप भी आओ सामने ! अरे रफ़्ता रफ़्ता आँख हमरी खुली है अरे रफ़्ता रफ़्ता आँख हमरी खुली है आँख हमरी खुली है दाल ही कुछ काली है फ़ेंका-फ़ेंकी जब से, चलने लगी जब से भीड़ भी जम के तालियाँ बजाने लगी तब से ज़ुबाँ ही इस की बदल गई ! बेटा BJP, तू तो फ़ँस गई ! पर हम ने ऐसा तो ना रटाया था ! अरे पहले इस को चढ़ाया किस ने ? तुम नागपुरवालों ने अरे पहले इस को चढ़ा के सर पे बिठाया किस ने ? तुम नागपुरवालों ने ‘पहली पसंद शौचालय, पीछे कहे बने देवालय agenda बने -बनाये, उलटे-पुलटे कर जाय बात क्या है असली ? ओ मोहनबा, निवड चुकली रे चुकली ! "पागल हो गये क्या? मैं ने भी कहाँ ऐसा रटाया था ?" कहा था –जवळ ह्याला करू नको ! ख़तरा है – जवळ ह्याला करू नको ! सुना नहीं – जवळ ह्याला करू नको ? कब कहा था – जवळ ह्याला करू नको ?
Posted on: Fri, 04 Oct 2013 10:04:07 +0000

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