क्या कहा मोदी - TopicsExpress



          

क्या कहा मोदी साम्प्रादायिक है, पर मोदी के भाषणों से ऐसा नहीं लगता है, कभी गौर से सुनिए मोदी के भाषण को सरकार चलाने से लेकर देश को दिशा देने तक एक Vision दिखता है, एक तौर-तरीका एक Mission कि सरकारे कैसे चलनी चाहिए, रोजगार के नए अवसर कैसे सृजित किये जाने चाहिए, अपनी बढती हुई आबादी को लेकर विश्व में Human Resource का केंद्र बने भारत में Human Resource का Optimum Utilization कैसे किया जाए, वोट बैंक से इतर Indian Population का इस्तेमाल देश के लिए Optimum Benefit अर्जित करने में कैसे किया जाए, सेवानिवृत्त लोगो से कैसे काम लिया जाए, और खाली हाथो को रोजगार से कैसे सिंचित किया जाए, तकनिकी , प्राद्यौगिकी, प्रबंधकीय, मनोवैज्ञानिक ज्ञान का इस्तेमाल सरकारी मशीनरी को दुरुस्त बनाने में कैसे किया जाए, जिसका उच्चतम लाभ देश की जनता को मिले, भारत के आधारभूत ढाँचे, सड़क , नहरे , सिंचाई के साधन, कृषको के आधुनिकरण, भारतीय सेना के आधुनिकरण की सोच, भारत के आन्तरिक एवं वाह्य सुरक्षा पर दृष्टिकोण, विश्व स्तर पर भारतीय व्यापार शक्ति को मजबूत करने निर्यात बढ़ाने, आयातों पर निर्भरता कम करके भारतीय अर्थव्यवस्था के साख के पुनर्निमाण का एक लक्ष्य वर्तमान समय में नरेंद्र मोदी के विचारों में नजर आता है, जबकि इन्ही मुद्दों पर देश के बाकी नेता हीला-हवाली करते है, इन सब के बावजूद नरेंद्र मोदी की सख्सियत स्पष्ट करती है कि वो एक Strong Will के नेता है, Ground Level से निर्धनता एवं ईमानदारी के बीच संघर्ष करते हुए उठे नेताओं में ये खासियत आम होती है, उसके बावजूद आप नरेंद्र मोदी को विकासपुरुष के बजाय सांप्रदायिक नेता के रूप में देखते एवं प्रचारित करते है तो ध्यान रखिये आप बहुसंख्यकवाद एवं अल्पसंख्यकवाद की उसी आग को हवा दे रहे है जिससे आप अपना दामन बचाना चाहते है, बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यकवाद धर्म-अपेक्षता अथवा धर्म-निरपेक्षता नहीं देखती है, अवसर एवं असंतोष का माहौल देखती है, इतिहास साक्षी है सबसे ज्यादा मानवीयता की हत्या, सांप्रदायिक दंगे, भ्रष्टाचार भी उन्ही सत्ताशाहो के शासनकाल में हुए है, जिनके पास देश/प्रदेश चलाने का कोई Vision अथवा Strong will नहीं था अथवा जो खुद को धर्म-निरपेक्ष साबित करने के लिए शासन सत्ता का बेजा इस्तेमाल करते थे... देश के राजनितिक एवं सामाजिक हालातो का ध्रुवीकरण विकास एवं भ्रष्टाचार के अलावा किन्ही और मुद्दों पर हुआ तो याद रखिये उसके जिम्मेदार उन जैसे लोग अथवा छद्म सेकुलर राजनितिक दल भी होंगे जो साम्प्रदायिकता, बहुसंख्यकवाद एवं अल्पसंख्यकवाद की आग को हवा दे रहे है, बाकी साम्प्रदायिकता तो स्वयं अंधी है बेहतर है उसे हवा देने के बजाय उसके विचार बदले जाए, लोकतंत्र में मताधिकार करने वाला शख्स उपभोक्ता है विकास के विजन को ध्यान में रखकर राजनीति से डिमांड होगी तो राजनितिक दलों को भी जनता को विकास ही परोसना पड़ेगा, साम्प्रदायिकता बनाम धर्म-निरपेक्षता का स्वाद विकास से कोसो दूर ले जाके पटक देगा, और वैसे भी ये कौनसा भारतीय लोकतंत्र के अंतिम चुनाव है अगले पांच वर्ष तक मोदी सरकार ने अच्छा कार्य नहीं किया तो २०१९ के चुनावों में सत्ता से बेदखल कर देना, और जिसे मर्जी आये उसे फिर से बिठा देना, आखिर जब हम दस वर्षो से भ्रष्ट सप्रंग सरकार को भुगत ही रहे है और अपने मुख से स्वयं कह रहे है उन्होंने भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए तो एक चांस तो विपक्ष भाजपा का तो बनता ही है... Courtesy : Kumar Gaurav
Posted on: Sun, 15 Sep 2013 17:08:48 +0000

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