गान्धी से जिन्ना ने जो भी मांगा वो सम्मान दिया भारत माता का बन्टवारा सहकर पाकिस्तान दिया लेकिन चन्द महीनों मे ही तुम औकात दिखा बैठे काश्मीर पर हमला करके अपनी जात दिखा बैठे नेहरु जी की एक भूल का ये अन्जाम हुआ देखो साँप गले मे पडा हुआ है ये परिणाम हुआ देखो हमने ढाका जीता भारत का झन्डा गड सकता था दर्रा हाजी पीर जीतकर भी भारत अड सकता था लेकिन हम तो ताशकंद के समझौते मे छले गये और हमारे लाल बहादुर इस दुनिया से चले गये पाक धरा से मिट ही जाता मौक़े टाल दिए हमने लाखों कैदी भुट्टो की झोली मे डाल दिए हमने हम एटमी ताकत होकर भी भी लाहौर गये बस मे हमने शिमला समझौते की कभी नही तोडी कसमे फिर भी बार- बार हमलों से भारत घायल होता है मै दिल्ली से पूछ रहा हूँ आखिर ये क्यों होता है उत्तर कहीं नही मिलता है शर्मसार हो जाता हूँ इसी लिए मै कविता को हथियार बनाकर गाता हूँ -हरिओम पंवार
Posted on: Fri, 30 Aug 2013 19:38:05 +0000
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