जिन्दगी की गाड़ी को - TopicsExpress



          

जिन्दगी की गाड़ी को चलाने के लिए रोजगार की जरूरत सभी को होती है. रोजगार का चुनाव सही होता है तो व्यक्ति को कम परेशानी में जल्दी सफलता मिलती है. रोजगार की तलाश में ज्योतिष विज्ञान आपके लिए किस प्रकार सहायक हो सकता है आइये देखें. व्यापार अथवा नौकरी (Business or Service) जब आप कैरियर के विषय में निर्णय लेते हैं उस समय अक्सर मन में सवाल उठता है कि व्यापार करना चाहिए अथवा नौकरी. ज्योतिष विधान के अनुसार अगर कुण्डली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम और एकादश भाव और उन में स्थित ग्रह कमजोर हैं तो आपको नौकरी करनी पड़ सकती है. इन भावों में अगर ग्रह मजबबूत हैं तो आप व्यापार सकते हें. द्वितीय भाव में रोजगर और आर्थिक स्थिति (Financial Status As Per The Second House) कुण्डली में आर्थिक स्थिति का आंकलन द्वितीय भाव से किया जाता है. आप किस क्षेत्र में कामयाब होंगे इसकी जानकारी एकादश भाव से किया जाता है. इस भाव से यह भी संकेत मिलता है कि आपको साझेदाररी में कामयाबी मिलेगी अथवा नहीं. चतुर्थ से सप्तम भाव में रोजगार और धन (Occupation & Finances As Per Houses Fourth to Seventh) कुण्डली का चतुर्थ भाव पैतृक सम्पत्ति से आय का योग बनता है. कुण्डली का पंचम भाव अचानक धन लाभ दिलाने वाला है. इस भाव के ग्रहों की स्थिति उच्च होने से लौटरी से धन मिलने की संभावना प्रबल रहती है. सप्तम भाव से गठबंधन और व्यापार में साझेदारी की स्थिति का भी ज्ञान होता है. इस भाव से ही यह जानकारी मिलती है कि आपको ससुराल पक्ष से कितना लाभ मिलता है. अष्टम भाव से द्वादश भाव में रोजगार और आय के साधन (Finance & Occupation as per Eighth and Twelfth House) अष्टम भाव यूं तो मारक स्थान के रूप में विशेष रूप से जाना जाता है परंतु इस भाव से आय की स्थिति का भी ज्ञान होता है. आकस्मिक लाभ, सट्टेबाजी से लाभ, किसी स्त्री से लाभ के संदर्भ में यह भाव संकेत देता है. नवम भाव भाग्य स्थान होता है जिससे भाग्य फल की जानकारी मिलती है. दशम भाव को कर्म का घर कहा गया है यह रोजगार एव व्यवसायिक स्थिति के विषय में बताता है. इस भाव से ही यह संकेत मिलता है कि आपको सरकारी पक्ष से लाभ मिलेगा. द्वादश भाव व्यय यानी खर्चे का घर होता है. इस भाव से यह ज्ञान होता है कि आय के साथ व्यय का तालमेल कैसा है. दशम भाव में ग्रह और आजीविका एवं आय (Planets in tenth house and occupation) कुण्डली के दशम भाव में चन्द्रमा सूर्य होने पर पिता अथवा पैतृक सम्पत्ति से लाभ मिलता है. इस सूर्य की स्थिति से यह भी पता चलता है कि आप पैतृक कार्य करेंगे अथवा नहीं. चन्द्रमा अगर इस भाव में हो तो माता एवं मातृ पक्ष से लाभ की संभावना बनती है. चन्द्रमा से सम्बन्धित क्षेत्र में कामयाबी की प्रबल संभावना रहती है. मंगल की उपस्थिति दशम भाव में होने पर विरोधी पक्ष से लाभ मिलता है. रक्षा विभाग अथवा अस्त्र शस्त्र के कारोबार से लाभ होता है. बुध दशम भाव में होने पर मित्रों से लाभ एवं सहयोग मिलता है. बृहस्पति की उपस्थिति होने पर भाईयों से सुख एवं सहयोग मिलता है. बृहस्पति से सम्बन्धित क्षेत्र में अनुकूल लाभ मिलता है. शुक्र सौन्दर्य एवं कला के क्षेत्र में तरक्की देता है. शनि की स्थिति दशम में होने पर परिश्रम से कार्य में सफलता मिलती है. टूरिज्म के कारोबार में कामयाबी मिलती है. लोहा, लकड़ी, सिमेंट, रसायन के काम में सफलता मिलती है.
Posted on: Mon, 16 Sep 2013 11:43:05 +0000

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