जज साहब सही कहते हैं. जो जातियां नौकरियों में अपनी आबादी के अनुपात में ओवर रिप्रेजेंटेड है, उनको नौकरियां क्यों चाहिए? तो बताइए जज साहब, ओवर रिप्रेटेंजेटेड की गिनती कहां से शुरू करें? आपसे ही क्यों नहीं? आपकी जाति क्या है और आपकी जाति कितना स्पेस घेर कर बैठी है? 100 में कितना परसेंट स्पेस आपकी जाति के पास है. आप जातिवार जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने का आदेश क्यों नहीं देते. आपके पास सॉलिड ग्राउंड होगा, डाटा होगा. फिर छांटते रहिएगा कि किसको नौकरी चाहिए और किसको नहीं चाहिए.
Posted on: Sat, 05 Oct 2013 11:12:23 +0000
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