जनप्रतिनिधित्व - TopicsExpress



          

जनप्रतिनिधित्व अध्यादेश पर राहुल गाँधी का बेबाक बयान कई कसौटियों पर कसा जायेगा ....... कईयों का कहना होगा कि यह चेहरा बचाने की कोशिश है ...... तो कुछ कहेंगे राहुल गाँधी ने पहले क्यूँ नहीं देखा और इस अध्यादेश को आने क्यूँ दिया ................. कहीं लोग अपनी बुद्धिमत्ता के खुशफहमी में इसे राहुल गाँधी का नातजुर्बेकार बयान मान कर खिल्ली भी उड़ायेंगे किन्तु मित्रो ज़रा अपने दिल से पूछो कि इस अध्यादेश कि रह में रोड़े अटकाकर राहुल गाँधी ने हिन्दुस्तान के भविष्य कि राजनीति को बेहतर और स्वच्छ बनाने का अनुपम प्रयास नहीं किया है ?? अगर गलत को गलत कहा तो क्या गलत किया ?? अगर देर से कहा तो क्या उन्हें इसे गलत नहीं कहना था ?? अगर अपनी गलती को बिना सियासी नफा नुकसान कि परवाह किये सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया तो क्या ये गलत है ??? नहीं मित्रों यह आज का युवा है जो गलती को मानता है और गलती को सुधरता है यह नहीं कि गलती किया और उस पर अड़ा रहा ............... दुष्यंत कुमार कि कालजयी रचना आज राहुल गाँधी कि मनोदशा को कुछ बेहतर तरीके से स्पष्ट करती है ; हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए। आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए। हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में, हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए। सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
Posted on: Fri, 27 Sep 2013 15:18:02 +0000

Recently Viewed Topics




© 2015