जब भी दामिनी के बलात्कारियों के विषय में घर में चर्चा होती है , तो भाई कहता यदि इनके आरोपियों को फांसी होती है तो ये जनता द्वारा थोपा हुआ फैसला होगा ...क्योंकि इसका प्रावधान हमारे संविधान में नहीं है ..तो मैं उससे कहती थी इससे अच्छा क्या हो सकता है कि देश की जनता इतनी जागरूक हो चुकी है ...संविधान में पढ़ा है हमने की फ़्रांस की सजग जनता ने लुई सोलहवें को इसलिए फांसी पे चढ़ा दिया था क्योंकि उसने जनता के मूल अधिकारों का उलंघन किया था ..खुली बाँहों और बिछी पलकों से स्वागत योग्य निर्णय ..बस अब देर न हो ...!!ॐ !!
Posted on: Fri, 13 Sep 2013 11:44:59 +0000
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