तुम्हारी याद! तुम्हारी - TopicsExpress



          

तुम्हारी याद! तुम्हारी याद आज इतनी कि नहीं पी सुबह की चाय नहीं पढा अखबार नहीं गयी नाश्ते पर निगाह बस, देखता रहा शून्य में बार-बार! तुम्हारी याद इतनी कि नहीं देखा शीशा और न दुरुस्त की दाढी न आयी याद मां, न की भाई-बहनों से बात बस, तुम्हारे अबूझ बिम्बों में उलझा रहा! तुम्हारी याद इतनी कि नहीं किया रोजी-रोटी के लिए काम नहीं लिखी पूंजीवाद के खिलाफ कविता नहीं पलटे अरस्तू के लिखे पन्ने नहीं पढी एलियट की कविता न की की किसी दोस्त से दंगों पर चर्चा बस, खोया रहा तुम्हारे शब्द-चित्रों में पिछली सांझ साझी की ढेर सी बातों में! और तुम व्यस्तता के खोल में रही घुसी न किया मुझसे बतियाने का उपक्रम गोया कि खाने-पीने और सांस लेने तक पर लग गया हो प्रतिबंध! - सुरेश नौटियाल सितंबर 11, 2013.
Posted on: Wed, 11 Sep 2013 11:07:33 +0000

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