दिनांक २८ सितम्बर १९१८ - TopicsExpress



          

दिनांक २८ सितम्बर १९१८ को बाबा बहुत गंभीर रूप से बीमार हो गये और बेहोशी की हालत में थे उन्होंने खाना पीना सब छोड़ दिया था. बाबा ने ऐसा कोई निर्देश दिया नहीं था लेकिन उनके बचने की कोई आशा नहीं देखकर उनके हिन्दू चेलों ने हिन्दू प्रथा के अनुसार रामायण एवं भक्ति ग्रंथों का अध्ययन शुरू कर दिया बाबा तो उस समय अचेत अवस्था में थे वे कुछ भी कर सकने या बोल पाने में असमर्थ थे. दाभोलकर और साईं प्रचारकों ने बहुत तरह की मनगढ़ंत कहानियां बनायीं जैसे की अंत समय में बाबा ने रामायण पढ़ने कहा,उनके चरणों में एक शेर मरा और लक्ष्मीबाई शिंदे को ९ सिक्के दिए.१८ दिनों तक बेहोश रहने के बाद १५ अक्टूबर,१९१८ दशहरे के दिन उनकी मृत्यु हो गयी.बाबा की इच्छा अनुसार पुरे मुस्लिम रीती रिवाज के साथ उन्हें दफना दिया गया. उनके कब्र की देखरेख अब्दुल बाबा करते थे और रोज कब्र के पास बैठकर कुरान पढ़ते थे,१९५४ में अब्दुल बाबा के मरते ही साईं बाबा की मूर्ति स्थापित की गयी और हिन्दू रीती से पूजा पाठ प्रारंभ हो गया जो आज तक चालू है. हिन्दुओ अपनी आंखे खोलो और समझो ...............
Posted on: Sat, 05 Oct 2013 05:09:34 +0000

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