पैर दबाकर संत बने गला दबाकर महंत रिज़र्व बैंक के गवर्नर खुद नकली नोट छापने लगें. सी बी आई के डायरेक्टर खुद रिश्वत लेते पकडे जाएँ. ख़ुफ़िया प्रमुख खुद देश के सीक्रेट बेचने लगें और सेना ही देश पर हमला कर दे. ये सारी मिसालें कुर्सी , ओहदे और अख्तियार के सबसे बुरे इस्तमाल की आखिरी हद है. कुछ ऐसी ही हद लांघी संत आसाराम बापू ने उन छोटी छोटी बेटियों के साथ जिनके मा बाप ने आस्था में लिप्त होकर अपनी संतानों को पाप से बचाने के लिए उनके पास भेजा था. मित्रों जब हदें लांघी जाती है तभी कोई विजय माल्या बुल से बीयर बन जाते हैं. तभी किसी राजा को राडिया रंक बना देती है . तभी कोई ललित मोदी देश से आऊट हो जाता है. तभी सुब्रत राय बेसहारा होते हैं. मामा की रेल पटरी से उतरती है. दामाद सरकारी सांड कह लाता है. और सबसे बड़े अर्थशास्त्री मनमोहन के हाथ से रुपया गिर जाता है. तभी कोई देश का एक बड़ा संत मर्यादाओं का गला दबा कर कामुकता का महंत बनता है. मित्रों इतना सब कुछ इसलिए कहा की प्लीज़ आसाराम का समर्थन ना करिये ..ये धर्म पर अधर्म का ग्रहण है. अगर विरोध नही तो पर्दा किजीये पर इसके पक्ष में मत बोलिए.
Posted on: Fri, 06 Sep 2013 17:42:34 +0000