मित्रो आज मैंने गोपाल - TopicsExpress



          

मित्रो आज मैंने गोपाल गोडसे द्वारा लिखित पुस्तक "गाँधी वध क्यों" पढ़ी। हालांकि सरकार ने इस पुस्तक पर प्रतिबंध लगा दिया था पर इन्टरनेट पर ये मुझे मिल गयी। इस पुस्तक के पढने के बाद मुझे नाथूराम गोडसे पर गर्व हुआ । उसने गाँधी को गोली बिलकुल सही मारी। नाथूराम के अंतिम शब्द थे " मुझे गाँधी की मौत का दुःख है पर अपने किये पर जरा भी अफ़सोस नहीं। गाँधी की गलत निति का परिणाम भविष्य में सारे हिन्दू भुकतेंगे"।।। कितने दूरदर्शी थे नाथूराम जिसे आज के हालातो का पता बहुत पहले ही चल गया था। मेरी सहानुभूति नाथूराम के साथ है। साथ ही मुझे गर्व महसूस होता है सरदार पटेल पर.....उन्हें लौह पुरुष ऐसे ही नहीं कहा जाता। यदि गाँधी ने उस वक्त सरदार पटेल की बात मान ली होती तो हालात ऐसे ना होते। सच कहूँ तो सरदार पटेल प्रधानमंत्री बनने लायक थे। उनमे जल्दी और सही फैसले लेने की बेहतरीन छमता थी लेकिन कुर्सी पर फन फैलाये बैठे नेहरु ने चाल चलकर उन्हें प्रधानमंत्री पद से विमुख कर दिया। मित्रो ये गाँधी और नेहरु वर्षो से हमे धोखा देते आये हैं पर इस बार नहीं।
Posted on: Sun, 22 Sep 2013 15:49:25 +0000

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