मंदिर की सीढियों पर रोते बिलखते बच्चे ने पूछा ..... मां ! क्यों भगवान जी तुम्हारे आंसू नहीं देख पाते? क्यों तुम्हारे दुखड़े बड़े बड़े कानो से भी नहीं सुन पाते? मां ! भगवान जी तुम्हे उल्लू बना रहे है .... खुद तो हीरे मोती जड़े वस्त्र पहनते है और हम! फटे पुराने कपडे! खुद तो मोतीचूर के लड्डू गटकाते है और हम सूखी, बासी रोटी ! खुद तो लाखो लीटर दूध डकारते है .और हमें बूंद भी नहीं देते? खुद तो महल में रहते है और हमें सीढियों पर भी सोने नहीं देते? खुद तो केसर, चन्दन से नहाते है और हमें मुंह धोने भी नहीं देते! मां ! भगवान जी से मै कट्टी करूँगा ! अकेले मख्खन खाए तो भी तुम्हे नहीं कहूँगा! भगवान जी के मंदिर में तुम जाओ मगर .... मै जगत पिता को कभी माफ़ नहीं करूँगा
Posted on: Mon, 08 Jul 2013 13:05:34 +0000
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