मुझे सचिन तेन्दुकर को भारत रत्न दिए जाने पर खुशी जरूर हुई है साथ ही उनकी बिदाई पर दुख भी है पर यहां सवाल राजनैतिक रुप से poultry को भंजाने की है मेरे दोस्तो। मेजर ध्यानचन्द ने बेहद मुस्किलात का सामना कर अपने वतन का सर फक्र ऊपर उठाया बडे बडे प्रलोभनो को ठुकराया । ऐसे सपुत किसी भी मुल्क के लिए शान कहे जा सकते है उन्हे ही भारत रत्न पाने का पहला हक बनता है । यदि ऐसा नहीं होता तब यह उनका तिरस्कार माना जायेगा ॥
Posted on: Sat, 16 Nov 2013 19:22:19 +0000