*****मुहम्मद (सल्ल.) : अपना - TopicsExpress



          

*****मुहम्मद (सल्ल.) : अपना काम स्वयं करने वाले***** मक्का पर विजय के बाद 10 लाख वर्गमील से अधिक ज़मीन हज़रत मुहम्मद के क़दमों तले थी। आप पूरे अरब के मालिक थे, लेकिन फिर भी आप मोटे-झोटे वस्त्र पहनते, वस्त्रों और जूतों की मरम्मत स्वयं करते, बकरियाँ दूहते, घर में झाडू़ लगाते, आग जलाते और घर-परिवार का छोटे-से-छोटा काम भी ख़ुद कर लेते। इस्लाम के पैग़म्बर के जीवन के आख़िरी दिनों में पूरा मदीना धनवान हो चुका था। हर जगह दौलत की बहुतात थी, लेकिन इसके बावजूद ‘अरब के इस सम्राट’ के घर के चूल्हे में कई-कई हफ़्ते तक आग न जलती थी और खजूरों और पानी पर गुज़ारा होता था। आपके घरवालों की लगातार कई-कई रातें भूखे पेट गुज़र जातीं, क्योंकि उनके पास शाम को खाने के लिए कुछ भी न होता। तमाम दिन व्यस्त रहने के बाद रात को आप नर्म बिस्तर पर नहीं, खजूर की चटाई पर सोते। अकसर ऐसा होता कि आपकी आँखों से आँसू बह रहे होते और आप अपने से्रष्टा से दुआएँ कर रहे होते कि वह आपको ऐसी शक्ति दे कि आप अपने कर्तव्यों को पूरा कर सकें। रिवायतों से मालूम होता है कि रोते-रोते आपकी आवाज़ रुँध जाती थी और ऐसा लगता जैसे कोई बर्तन आग पर रखा हुआ हो और उसमें पानी उबलने लगा हो । आपके देहान्त के दिन आपकी कुल पूँजी कुछ थोड़े से सिक्के थे, जिनका एक भाग क़र्ज़ की अदायगी में काम आया और बाक़ी एक ज़रूरतमंद को दे दिया गया, जो आपके घर दान माँगने आ गया था। जिन वस्त्रों में आपने अंतिम साँस लिए उनमें अनेक पैवन्द लगे हुए थे। वह घर जिससे पूरी दुनिया में रोशनी फैली, वह ज़ाहिरी तौर पर अन्धेरों में डूबा हुआ था, क्योकि चिराग़ जलाने के लिए घर में तेल न था। Admin 02
Posted on: Sun, 18 Aug 2013 20:00:51 +0000

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