यूँ ही नहीं बनता कोई सम्राट। . पटना के धमाकों ने बिहार की बहादुरीभी दिखा दी। धमाके होते रहे लोग मरते रहे पर लाखों की भीड़ हिली तक नहीं। किसी दूसरी जगह ये होता तो भगदड़ मच जाती और कुचल के ही २०० लोग मर जाते . इतना ही नहीं जिस आतंकवादी को पकड़ा गया उसे पुलिस ने नहीं आम लोगों ने पकड़ा। उसे इसलिए जिन्दा छोड़ा ताकि कल को सच्चाई दुनिया के सामने आये। धैर्य देखिये - अगर ये ५ लाख लोग सांप्रदायिकतरीके से बदला लेने पर उतर आते तो कौन सी ताकत उन्हें रोक पाती ? क्या पूरा पटना नहीं मरघट में बदल जाता ? बिहार ने साबित किया की क्यों हर परिवर्तन बिहार से शुरू होता है ? चाहे चाणक्य का उग्र राष्ट्रवाद हो , या अशोक की विश्व बन्धुत्व, या बुद्धा का ज्ञान , या महावीर का त्याग, कुवर सिंह या गुरु गोविन्द सिंह की वीरता, या शेरशाह का कल्याणकारी राज्य, या गाँधी का पहला सत्याग्रह, या भारत का पहला राष्ट्रपति, या जेपी की क्रांति।
Posted on: Tue, 29 Oct 2013 07:28:47 +0000
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