राबर्ट वाड्रा का मामला - TopicsExpress



          

राबर्ट वाड्रा का मामला फिर सतह पर आ गया है और यह साफ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस को जवाब देते नहीं बन रहा। इसका कारण यही है कि उसके पास कोई ढंग का जवाब है ही नहीं। यह कांग्रेस के प्रवक्ता मीम अफजल के इस बयान से और अच्छे से साबित होता है कि वाड्रा पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाने वाले आइएएस अफसर अशोक खेमका भाजपा के हाथों खेल रहे हैं। मीम अफजल का यह बयान कांग्रेस की चिर-परिचित खासियत को दर्शाता है। यह दल जब जवाब देने की स्थिति में नहीं होता तो अपने आलोचकों-विरोधियों को इसी तरह बदनाम करता है। याद कीजिए कि लोकपाल आंदोलन के दौरान कांग्रेसी नेता किस तरह अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल को संघ और भाजपा का आदमी बताते थे। मीम अफजल कांग्रेस के कीचड़ फेंको दस्ते के नए सदस्य बने हैं और शायद वह शकील अहमद और दिग्विजय सिंह को परास्त करने की इच्छा भी रखते हैं। ध्यान रहे कि इसके पहले कांग्रेसजन वाड्रा को निजी व्यक्ति बताते थे। पता नहीं यह निजी व्यक्ति क्या होता है, लेकिन यह तय है कि कोई भी कांग्रेसी इस सवाल का जवाब नहीं देने वाला कि वाड्रा को फर्जी चेक के सहारे 3.5 एकड़ जमीन खरीदने और उसका भू-उपयोग बदलने की सुविधा कैसे मिल गई? वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटैलिटी ने साढ़े सात करोड़ रुपये में खरीदी गई इसी जमीन को दो महीने के अंदर ही डीएलएफ को 58 करोड़ में बेचकर मोटा मुनाफा कमाया। यह काम कुछ और लोग भी कर पाने में सक्षम होंगे, लेकिन उनमें से शायद ही किसी को फर्जी चेक इस्तेमाल करने की सुविधा मिलती हो। हालांकि कारपोरेशन बैंक कई बार यह स्पष्ट कर चुका है कि उसने वाड्रा की कंपनी को साढ़े सात करोड़ का कोई चेक जारी नहीं किया, लेकिन किसी को भी इसकी जरूरत महसूस नहीं हो रही कि इस फर्जीवाड़े की जांच कराई जाए। अगर यह काम किसी और ने किया होता तो वह विभिन्न स्तरों पर कम से कम चार-पांच जांच का सामना कर रहा होता। वाड्रा के खिलाफ जांच करने की हिम्मत किसी में नहीं। देश को यह साफ संदेश दिया जा रहा है कि सोनिया गांधी का दामाद होने के नाते वाड्रा नियम-कानून, जांच-पड़ताल से परे हैं। जो भी वाड्रा के मामले की जांच की मांग करेगा उसे या तो भाजपा-संघ का आदमी करार दिया जाएगा या फिर उसकी नीयत में खोट खोजा जाएगा। इस बारे में सभी को सुनिश्चित रहना चाहिए कि राव इंद्रजीत सिंह अब शायद ही कांग्रेसी रह पाएं। इसी तरह इस बारे में भी सुनिश्चित हुआ जा सकता है कि हरियाणा और केंद्र में कांग्रेस की सत्ता रहते हुए दुनिया की कोई ताकत वाड्रा के खिलाफ सही तरीके से जांच नहीं करा सकती। एक हल्की सी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट से अवश्य है, लेकिन वह अगर दखल देता है तो भी मामले की तह तक जाना कठिन है। कठिन इसलिए है, क्योंकि जांच उन्हीं एजेंसियों को करनी है जो लीपापोती करने में माहिर हैं।
Posted on: Wed, 14 Aug 2013 06:30:16 +0000

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