वक़्त आ गया है, गुलामी की - TopicsExpress



          

वक़्त आ गया है, गुलामी की मानसिकता और प्रतीकों से मुक्त हो कर करें सभ्य, सुसंस्कृत समाज और आधुनिक भारत का निर्माण -------------------------------------------------------------------- भाई राजीव दीक्षित के विचारो के भारत का उदय होने लगा है | धोती-कुर्ता और कुर्ता-पायजामा में युवा इंजीनियरों ने यादगार बना दिया IIT-BHU का पहला दीक्षांत समारोह | आईआईटी बीएचयू के पहले दीक्षांत समारोह में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को विद्यार्थियों ने न सिर्फ अपनी प्रतिभा बल्कि वेशभूषा से भी हैरत में डाल दिया। उपाधि लेने पहुंचे युवा इंजीनियरों को धोती-कुर्ता में देख पूर्व राष्ट्रपति चौंके मगर इस पहल के लिए उनकी पीठ भी थपथपाई। BHU के इतिहास का यह पहला दीक्षांत समारोह था जिसमें उपाधि तो आधुनिक रही, मगर वेशभूषा पारंपरिक। आईआईटी बीएचयू के इस पहले दीक्षांत समारोह में ‘ड्रेस कोड’ लागू करने का फैसला सीनेट का था। पहली बार जब अप्रैल में आईआईटी सीनेट की बैठक हुई तो उसमें यह तय किया गया कि जुलाई में दीक्षांत समारोह का आयोजन होगा। इसी बैठक में दीक्षांत समारोह में शामिल होने वाले छात्रों के लिए धोती-कुर्ता व कुर्ता-पायजामा और छात्राओं के लिए साड़ी-ब्लाउज व सलवार-कुर्ता को बतौर ड्रेस कोड लागू करने पर सहमति बनी। ड्रेस कोड लागू करने के मूल में यह बताना था कि भले ही हम तकनीकी रूप से दक्ष हैं, फर्राटेदार अंग्रेजी बोल लेते हैं और हमारी सोच और हमारा रहन-सहन आधुनिक है मगर हमारी जड़ आज भी भारतीयता से परिपूर्ण है। आज जब रुपया डॉलर के मुकाबले Senior Citizen बन रहा है (US $ 1 = Rs 60 ), स्वदेशी वस्तुओ का उपयोग ही हमें एक सम्मान-भरा सुरक्षित जीवन दे सकता है | स्वदेशी वस्तुओ के प्रयोग में गर्व का अनुभव करें, और यथासंभव इनका प्रयोग करें | यही आपका भारत के प्रति सच्चा प्यार प्रदर्शित करता है, और यदि देश के विकास में सबसे अधिक सहायक होगा | अपने स्वदेशी सोशल नेटवर्क से जुड़ने के लिए क्लिक करें,
Posted on: Thu, 11 Jul 2013 03:16:44 +0000

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