वूडी एलन ने अपनी फिल्म ब्लू जैस्मिन भारत में रिलीज करने से मना कर दिया. वो अपनी िस फिल्म में बार-बार धुम्रपान निषेध जैसी चेतावनी और सूचना जारी करने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने इस संबंध में लगभग वही सारे तर्क प्रस्तावित किया है जैसा कि बहसतलब 2013 में अनुभव सिन्हा ने बहुत ही विस्तार से अपनी बात रखी थी. हालांकि उनकी पूरी बातचीत के एक छोर कंडोम को पकड़कर लोगों ने पूरे तर्क को गहराई में ले जाने के बजाय ध्वस्त करने में तत्परता दिखाई लेकिन धुम्रपान के विज्ञापन निषेध के बहाने सिनेमा की पारंपरिक परिभाषा पर फिर से बात करने का माहौल तो बन ही रहा था. बाद में हमने मोहल्लालाइव पर एक पोस्ट लिखी थी-mohallalive/2013/09/25/cinema-and-morality-via-anubhav-sinha/ अब जबकि वूडी विलेन ने भारत में अपना बेहतर बाजार होने के बावजूद फिल्म ब्लू जैस्मिन रिलीज करने से साफ इन्कार कर दिया, इस सवाल पर नए सिरे से सोचने की जरुरत है कि क्या एक फिल्मकार सिर्फ फिल्म के जरिए पैसा भर कमाना चाहता है या फिर अपनी उस फिल्म को भी, अपनी समझ को बचाए रखना चाहता है जिसने उसके हजारों-लाखों प्रशंक पैदा किए. इस संदर्भ में ओपन के ताजा अंक में अक्षया पिल्लई का लेख पढ़ने लायक है.openthemagazine/article/cinema/smoke-and-mirrors
Posted on: Thu, 24 Oct 2013 18:06:44 +0000
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