शुभ संध्या दगड़ियोँ... बेटियोँ को भी जीने देँ, जीवन मेँ भी उन्हेँ पढ़ने देँ। सिर्फ चूल्हा चोका इन्हेँ न करना, इनको भी है पढ़ना लिखना। पढ़ाना है इनको अवश्य, यही है इस देश का भविष्य। जानेगीँ जब यह हर अक्षर, करेँगी ओरोँ को भी साक्षर। आयेगा जब उन्हेँ कलम चलाना, अपने कदम को आगे बड़ाना। बेटियोँ को भी जीने देँ, जीवन मेँ भी उन्हेँ पढ़ने देँ। जय भारत जय उत्तराखण्ड। एडमिन- रूचि सम्मल
Posted on: Fri, 05 Jul 2013 12:12:51 +0000
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