साईं की पूजा सनातन धर्म के अनुसार के विपरीत ही नहीं है बल्कि ये सनातन धर्म का खुले तौर पर अपमान और सनातनी परम्पराओं का सरेआम उल्लंघन करने जैसा है, सनातन धर्म केवल मनुष्यों का धरम नहीं बल्कि सनातन तो प्राणी मत्र्के कल्याण और उनके पालन पोषण से लेकर उनके संरक्षण तक की एक सत्य अवधारणा है जो लाखो सालो से चल रही है, सनातनी परंपरा में केवल इश्वर, अवतार, या देवता की पूजा ही मान्य है उसके अलावा सभी एक तरह से पाखंड ही है, मंदिर में विग्रह स्थापना और इष्ट देवता की प्राण प्रतिष्ठा इन सबका एक विधान है पर साईं की पूजा करने वाले और उसके मंदिर बनाने वालो ने सभी मान्यताओं और परम्पराओं को ताक पर रख कर सनातन धर्म को एक अक्षुण हानि पहुंचाई है और आगे भी पहुंचा रहे है कैसे ये पढ़े, इष्ट देव जो कुलदेवता या कुलदेवी होती है, साईं इनमे से दोनों ही नहीं है, क्युकी हर परिवार किसी न किसी कुल से जुड़ा हुआ है और हर कुल में कोई न कोई इष्ट प्रधान हुआ है, जैसे की कश्यप ऋषि के वंशज नाम के साथ कश्यप लगाते है और अपने मान्य कुल देवता को पूजते है, इसी प्रकार से सभी जातियों में ये परमम्परा हजारो लाखो सालो से चली आ रही है, अब क्या साईं इन कुलो के जनम के समय से तो नहीं है क्युकी इसे तो मरे हुए भी १०० साल नहीं हुए है, तो ऐसे में इसका इष्टदेव होना संभव नहीं और इस नाते ये मंदिर के गर्भ गृह में नहीं बैठ सकते, #ExposeShirdiSai #BhaktiJihad Via : Sai Baba of Shirdi - इस्लामिक फ़क़ीर शिर्डी साईं द्वारा हिन्दुओ का इस्लामीकरण Admin - Rohit Kumar
Posted on: Sun, 06 Oct 2013 06:09:38 +0000