संघ आज राष्ट्रवादी होने का चाहे जितना गुण गा ले वह स्वतन्त्रता आन्दोलन में शामिल न होने और अंग्रेज़ों का साथ देने का दाग़ अपने दामन से कभी नहीं मिटा सकता है। इतिहास को फिर से लिखने के संघ के प्रयासों के पीछे का मुख्य कारण यही है। वे अपने ही इतिहास से डरते हैं। वे जानते हैं कि उनका इतिहास ग़द्दारियों और कायरताओं का एक काला इतिहास रहा है। हिंसा से उनको बहुत प्रेम है, लेकिन झुण्ड में पौरुष प्रदर्शन वाली हिंसा से। वे कभी किसी जनान्दोलन में शामिल नहीं हुए और उनमें किसी दमन को झेलने की ताक़त नहीं है। हमेशा सत्ता के साथ नाभिनालबद्ध रहते हुए व्यवस्था के ख़िलाफ लड़ने वालों पर कायराना हिंस्र हमले करना इनकी फितरत रही है। चाहे वे मुसलमान रहे हों, ईसाई या फिर कोई भी राजनीतिक विरोधी। बहादुराना संघर्ष से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा है, कभी नहीं।
Posted on: Wed, 11 Sep 2013 13:21:04 +0000
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