सच को समझो. इशरत और उसकी माँ का बयां abp पे. दोनों जो भी बोल रही थी उनको बयान लिखित में दिया गया था. और दोनोने पढ़कर सुनाया. बिच-बिच में ओ भूल जाती तो निचे देख लेती थी. या फिर पिछेसे कोई दबे आवाज में बता रहा था. क्या बोलना है ये और किसी ह... ne लिख के दिया था. और मिडिया कैमरा निचे नहीं दिखा रही थी. मिडिया वालो सुनो.. तुम पर से भरोसा दिन ब दिन कम होता जा रहा है. तुम लोग polytical नेताओसे भी गए गुजरे हो. क्यों की नेताओ की जाट को जनता पहचानती है, पर आपसे सच की उमीद करती है. लेकिन आप आधा सच बताते हो. जो की पुरे झूट से भी जादा गन्ध होता है. धिक्कार है तुम्हारा. जय हिन्द.
Posted on: Thu, 04 Jul 2013 07:13:58 +0000
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