एक ओर हम चाहते हैं कि भारत 10 प्रतिशत वार्षिक दर से विकास करे मगर ये क्या इन परिस्थितियों में संभव हो सकता है ? जब देश का दूसरा सबसे बड़ा तबका विकास की दौड़ में सबसे पीछे हो उसकी देश के विकास में भागीदारी, सरकारी नौकरियों, में सिविलि सर्विसेज में भागीदारी न के बराबर हो या हो ही नहीं ? एक तरफ हम विकास दर 10 प्रतिशत चाहते हैं दूसरी और आरक्षण जिसका चलन केवल भारत में ही है, दुनिया के किसी भी देश में आरक्षण नहीं है उसका लाभ केवल एक ही समुदाय को मिले, कैसी अजीब विडंबना है कि धर्म के नाम पर आरक्षण देने का विरोध करने वाले लोग ये क्यों भूल गये कि इसी देश और इसी संविधान में हिंदू दलितों, सिक्ख दलितों, (एससी) एंव एसटी समुदाय को आरक्षण धर्म के आधार पर ही दिया गया है। Admin - 10 readerblogs.navbharattimes.indiatimes/Danke-ki-Chaut-Par/entry/%E0%A4%AA%E0%A4%B9%E0%A4%B2-%E0%A4%86%E0%A4%B0%E0%A4%95-%E0%A4%B7%E0%A4%A3-%E0%A4%B2-%E0%A4%AC-%E0%A4%A6-%E0%A4%AE-%E0%A4%B5-%E0%A4%9F-%E0%A4%A6-%E0%A4%AE-%E0%A4%B8-%E0%A4%B2-%E0%A4%AE11
Posted on: Tue, 06 Aug 2013 05:20:38 +0000
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