कृपा इस पर अपनी टिप्पणी जरुर दें ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून में जो छात्र-शिक्षक अनुपात बताया गया है उसके अनुसार किसी भी प्राथमिक विधालय में कम से कम दो शिक्षक होना अनिवार्य है. साथ ही हर तीस बच्चों पर एक शिक्षक भी होना होना चाहिए. जब इस अनुपात का आंकड़ा मांगा जाता है तो अधिकतर इसे देश की प्रति व्यक्ति आय की तरह से पेश करते हैं. उदाहरण के लिए, दो करोड़पति लोगों की आय को दस गरीब लोगों के साथ जोड़कर उसे 12 से भाग दे दिया जाता है. ऐसे में गरीब की प्रति व्यक्ति आय भी ठीक-ठाक लगने लगती है. यही आलम शिक्षा के क्षेत्र में भी है. विभाग के कर्मचारी के कुल छात्रों और कुल शिक्षकों की गिनती से यह अनुपात पेश कर देते हैं. जबकि हकीकत यह है कि शहरों के पास के स्कूलों में तो दस-दस शिक्षक मौजूद हैं मगर दूरस्थ इलाकों के कई स्कूल तरह-तरह के कामों के बोझ से दबे एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. सही है की नही
Posted on: Sat, 07 Sep 2013 14:06:58 +0000