जीवन में सब कुछ तो नहीं मिलता ,एक खालीपन ,एक खलिश रह ही जाती है .जीवन के मायने उसी में खोजती हूँ .सब कुछ पा लेने की ख्वाहिश भी नहीं कि उसके बाद जीवन का ध्येय कुछ रह ही नहीं जायेगा .थोड़ा सा और खोजने की ललक जिजीविषा पैदा करती है .छोटी -मोटी चोटें चाहे शरीर की हों या मन की ,मेरा रास्ता रोकने की कोशिश भी नहीं कर सकती .मेरा चलते रहने का जुनून उन्हें पीछे धकेल देता है ................विजय
Posted on: Tue, 09 Jul 2013 14:38:53 +0000