By a friend MUST READ - जरूर पढ़ना यह एक - TopicsExpress



          

By a friend MUST READ - जरूर पढ़ना यह एक एतिहासिक सच्चाई है इसे पूरा पढ़े ।। वैसे तो कई कोशिशें की दुनिया ने हमें बदनाम करने के लिये लेकिन एक सच ये भी है।। 1 - अकबरनामा(Akbarnama) में जोधा का कहीं कोई उल्लेख या प्रचलन नही है।। (There is no any name of Jodha found in the book Akbarnama written by Abul Fazal ) 2- तुजुक-ए-जहांगिरी /Tuzuk-E-Jahangiri (जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir) में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है (There is no any name of JODHA Bai Found in Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत यह है की जोधा बाई का पूरे इतिहास में कहीं कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम- उल-जमानी} ( Mariam uz-Zamani ) था जो कि आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन पालन राजपुताना में हुआ था इसलिए वह राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती जान्ती थी और राजपूतों में उसे हीरा कुँवरनी (हरका) कहते थे, यह राजा भारमल की कूटनीतिक चाल थी, राजा भारमल जान्ते थे की अकबर की सेना जंसंख्या में उनकी सेना से बड़ी है तो राजा भारमल ने हवसी अकबर बेवकूफ बनाकर उस्से संधी करना ठीक समझा , इससे पूर्व में अकबर ने एक बार राजा भारमल की पुत्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था जिस पर भारमल ने कड़े शब्दों में क्रोधित होकर प्रस्ताव ठुकरा दिया था , परंतु बाद में राजा के दिमाग में युक्ती सूझी , उन्होने अकबर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और परसियन दासी को हरका बाइ बनाकर उसका विवाह रचा दिया , क्योकी राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था इसलिये वह राजा भारमल की धर्म पुत्री थी लेकिन वह कचछ्वाहा राजकुमारी नही थी ।। उन्होंने यह प्रस्ताव को एक AGREEMENT की तरह या राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन किया था ।। 3- अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है written in parsi ( “ ﻭﻧﺤﻦ ﻓﻲ ﺷﻚ ﺣﻮﻝ ﺃﻛﺒﺮ ﺃﻭ ﺟﻌﻞ ﺍﻟﺰﻭﺍﺝ ﺭﺍﺟﺒﻮﺕ ﺍﻷﻣﻴﺮﺓ ﻓﻲ ﻫﻨﺪﻭﺳﺘﺎﻥ ﺁﺭﻳﺎﺱ ﻛﺬﺑﺔ ﻟﻤﺠﻠﺲ ”) हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह है ।। 4- ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड लाइब्रेरी में रखी किताबों में इन्डियन मुघलों का विवाह एक परसियन दासी से करवाए जाने की बात लिखी है ।। 5- अकबर-ए-महुरियत में यह साफ-साफ लिखा है कि (written in persian “ ﮨﻢ ﺭﺍﺟﭙﻮﺕ ﺷﮩﺰﺍﺩﯼ ﯾﺎ ﺍﮐﺒﺮ ﮐﮯ ﺑﺎﺭﮮ ﻣﯿﮟ ﺷﮏ ﻣﯿﮟ ﮨﯿﮟ ” (we dont have trust in this Rajput marriage because at the time of mariage there was not even a single tear in any ones eye even then the Hindus God Bharai Rasam was also not Happened ) हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है क्यौकी निकाह के वक्त राजभवन में किसी की आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू गोद भरई की रस्म हुई थी ।। 6- सिक्ख धर्म के गुरू अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंह ने इस विवाह के समय यह बात स्वीकारी थी कि (written in Punjabi font - “ਰਾਜਪੁਤਾਨਾ ਆਬ ਤਲਵਾਰੋ ਓਰ ਦਿਮਾਗ ਦੋਨੋ ਸੇ ਕਾਮ ਲੇਨੇ ਲਾਗਹ ਗਯਾ ਹੈ “ ) कि क्षत्रीय , ने अब तलवारों और बुद्धी दोनो का इस्तेमाल करना सीख लिया है , मत्लब राजपुताना अब तलवारों के साथ- साथ बुद्धी का भी काम लेने लगा है ।। ( At the time of this fake mariage the Guru of Sikh Religion Arjun Dev and Guru Govind Singh also admited that now Kshatriya Rajputs have learned to use the swords with brain also !! ) ै7- 17वी सदी में जब परसि भारत भ्रमन के लिये आये तब उन्होंने अपनी रचना (Book) परसी तित्ता/PersiTitta में यह लिखा है की यह भारतीय राजा एक परसियन वैश्या को सही हरम में भेज रहा है , अत: हमारे देव (अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें ( In 17 th centuary when the Persian came to India So they wrote in there book (Persi Titta) that This Indian King is sending a Persian prostitude to her right And deservable place and May our God (Ahura Mazda) give Heaven to this Indian King . 8- हमारे इतिहास में राव और भट्ट होते हैं , जो हमारा ईतिहास लिखते हैं !! उन्होंने साफ साफ लिखा है की गढ़ आमेर आयी तुरकान फौज , ले ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता लेली इतिहासा पहली बार ले बिन लड़िया जीत (1563 AD )। मत्लब आमेर किले में मुघल फौज आती है और एक दासी की पुत्री को ब्याह कर ले जाती है, हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतों तुमने इतिहास में ले ली बिना लड़े पहली जीत 1563 AD (In our Rajputana History our History writers were Raos and Bhatts They clearly wrote Garh Amer ayi Turkaan Fauj Le gyali Paswaan Kumari , Ran Rajya Rajputa leli itihasa Pehlibar le bin ladiya jeet !! This means that when Mughal army came at Amer fort their Emperor got married with persian female servant of Rajputs The Rajputs who born for war And in history this was the first time that the Rajput has got a victory without any violence 9-यह वो अकबर महान था जिसके समय मे लाखों राजपुतानी अपनी इज्जत बचाने के लिये जोहर की आग में कूद गई ( अगनी कुन्ड में ) कूद गई ताकी मुघल सेना उन्हे छू भी ना सके , क्या उनका बलिदान व्यर्थ हे जो हम उस जलाल उद्दीन मोहोम्मद अकबर को अकबर महान कहते हे सिर्फ महसूर कर माफ कर देने के कारण भारतीय व्यापारीयों ने उसे अकबर महान का दर्जा दिया !!अब ये बात बताईये की क्या हिन्दूस्तान में हिन्दूओं पर तीर्थ यात्रा पर से कोई टेक्स हटा देना कौन सी बड़ी महानता है , यह तो वैसे भी हमारा हक था और बेवकूफ व्यापारीयों ने एक कायर को अकबर महान का दर्जा दि (हिन्दूस्तान पर राज करने के लिये अकबर ने अपने दरबार में नौ लोगों को नवरत्न बनाया जिसमे 4 हिन
Posted on: Mon, 28 Oct 2013 13:00:31 +0000

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