आपकी कबिता बहुत ही समयोचित हैं क्या मंतब्य करे, करते डर लगता है अभी तक तो हिंदी रास्ट्रभाषा कहलाती है जिस तरीके से बेचना चालु हैं आगे तो......ही जाने सेल करने की आंतरिक इच्छाहो तो फसल बेचिए लेनेवाले को लाइसेंस मिल गया है सस्ते में खरीदेंगे बड़े बड़े एयर कंडीशन बाज़ार से बेचेंगे बड़ी बड़ी गाड़ी में बैठकर मैडम आयेंगी न भाव पूछेगी न ताव लेकर चली जायेगी बची हुई लेनेवाले लाइन में खड़े मिलेंगे पहले पहले तो दलाली अर्थात कमीशन देवेंगे पीछे उनको चारा भी न दे पायेगे, देवेंगे कंहासे वहा भी तो घोटाला है रेपो की बात करे तो CRR की बात कीजिये अंग्रेजी तो हमारे खून में उबल रही हैं निकलने के लिए पर उसे पढने के लिए अंग्रेजी स्कूल में जाना होगा एक ही रास्ता खाली हैं CONVENT SCHOOL का खेत भी बेचेंगे तो फर्म हाउस बनाना पडेगा ।
Posted on: Tue, 06 Aug 2013 11:55:21 +0000
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