हिन्दू समाज की कृतघन्ता है कि वह अपने वीरों को भूल चुका हैं जिन्होंने बलिदान दिये थे। आज वह उन के नाम इस लिये नहीं लेना चाहते कि कहीं भारत में रहने वाले अल्पसंख्यक नाराज ना हो जायें। धर्म निर्पेक्ष भारत में अत्याचारी मुस्लिम शासकों के कई स्थल, मार्ग और मकबरे सरकारी खर्चों पर सजाये सँवारे जाते हैं। कई निम्न स्तर के राजनैताओं के मनहूस जन्म दिन और ‘पुन्य तिथियाँ’ भी सरकारी उत्सव की तरह मनायी जाती हैं परन्तु इन उपेक्षित हिंदू वीरों का नाम भी लेना धर्म निर्पेक्षता का उलंघन माना जाता है। ज़रा सोचिये...
Posted on: Sat, 21 Sep 2013 14:46:03 +0000